प्रमुख इस्लामी सेमिनरी दारूल उलूम देवबंद ने कहा है कि तलाक देने की नीयत से टाइप किया गया एसएमएस असल में तलाक का आधार हो सकता है, चाहे वह संदेश भेजा गया हो या नहीं।
दारूल उलूम देवबंद ने एक फतवा जारी कर कहा है कि एसएमएस टाइप करने के बाद अगर नहीं भी भेजा गया हो तो पति और पत्नी के बीच तलाक हो जाएगा।
सेमिनरी की वेबसाइट पर एक प्रश्न पूछा गया था कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक देने की नीयत से अपने मोबाइल में एक संदेश लिखता है- मैं तुम्हें तलाक देता हूँ, लेकिन कुछ और सोचकर उसने अभी तक संदेश नहीं भेजा है तो क्या इसका परिणाम तलाक होगा।
इसके जवाब में कहा गया है कि संदेश भेजा गया हो अथवा नहीं, तलाक हो गया। फिक (इस्लामिक न्यायशास्त्र) के मुताबिक तलाक देने की नीयत से अगर पति द्वारा संदेश लिखा जाता है तो तलाक वैध होगा।