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कसाब ने स्वेच्छा से कबूला जुर्म-मजिस्ट्रेट

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मुंबई (भाषा) , बुधवार, 30 सितम्बर 2009 (17:01 IST)
यहाँ की एक मजिस्ट्रेट ने नवंबर के मुंबई हमलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को बुधवार को बताया कि हमले के प्रमुख आरोपी अजमल आमिर कसाब ने हमलों में अपनी भूमिका के बारे में अपनी मर्जी से उनकी अदालत में इकबाले जुर्म किया था और वह चाहता था कि उसके कबूलनामे से बाकी भी प्रेरणा लें।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रमा विजय सावंत वागुले ने बताया कि कसाब को 17 फरवरी को उनकी अदालत में पेश किया गया था, जहाँ उसने कहा कि वह अपने जुर्म का इकबाल करना चाहता है। रमा ने बताया कि उसे 24 घंटे का वक्त दिया गया ताकि वह इकबाले जुर्म करने के अपने फैसले पर एक बार फिर विचार कर सके।

रमा ने अदालत को बताया कि 18 फरवरी को जब कसाब को दोबारा मेरे सामने पेश किया गया, तो उसने दोहराया कि वह अपना गुनाह कबूल करना चाहता है। उसने अपने अपराध के लिए कोई पछतावा नहीं दिखाया और मुझसे कहा कि वह इसलिए अपना जुर्म कबूल करना चाहता है ताकि औरों को भी इससे प्रेरणा मिले।

गवाह के तौर पर अदालत में पेश हुईं रमा ने सरकारी वकील उज्जवल निकम को बताया कि मैंने उससे यह भी कहा कि क्या वह किसी वादे या दबाव में अपना गुनाह कबूल कर रहा है और मैंने उसे फिर याद दिलाया कि उसके लिए अपना गुनाह कबूल करना जरूरी नहीं है और अगर उसने ऐसा किया तो इसे उसके खिलाफ सजा सुनाने के मुकदमे के दौरान इस्तेमाल किया जाएगा।

मजिस्ट्रेट को गवाह के तौर पर इसलिए पेश किया गया क्योंकि कसाब अपने इकबाले जुर्म से मुकर गया है और उसका कहना है कि उसने पुलिस के दबाव में ऐसा किया।

मजिस्ट्रेट ने कहा कि मैंने कसाब का शारीरिक परीक्षण भी कराया और पाया कि उसकी कलाई पर दो घाव हैं। उसने बताया कि यह घाव उसे हमलों में गोलीबारी के दौरान लगे। कसाब को इसके बाद फिर 48 घंटे का वक्त दिया गया और 20 फरवरी को जब उसे दोबारा अदालत में पेश किया गया तो उसने दोहराया कि वह अपनी मर्जी से अपने जुर्म का इकबाल करना चाहता है, लेकिन उस समय चूँकि अदालत का समय समाप्त हो गया था इसलिए उससे अगले दिन आने को कहा गया।

अंतत: 21 फरवरी को उसका इकबाले जुर्म दर्ज किया गया, जब उसे हथकड़ी के बिना अदालत में पेश किया गया ।

रमा ने बताया कि मैंने कसाब से पूछा कि क्या 48 घंटे का समय पर्याप्त था तो उसने कहा- हाँ। मैंने उससे यह भी पूछा कि पिछले 48 घंटे में क्या किसी पुलिसकर्मी ने उससे मुलाकात की तो उसने इसका जवाब ना में दिया। उसे एक बार फिर याद दिलाया गया कि इकबाले जुर्म उसके खिलाफ जाएगा।

उन्होंने कहा कि कसाब से पूछताछ के बाद मुझे तसल्ली हो गई कि वह बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से अपने जुर्म का इकबाल करना चाहता है। उसके बाद मैंने उसका इकबालिया बयान दर्ज किया। उन्होंने कहा कि कुछ शब्द उर्दू में होने के कारण इकबालिया बयान प्रश्नोत्तर रूप में दर्ज किया गया। सभी पन्नों पर कसाब और मजिस्ट्रेट ने दस्तख्त किए।

कसाब का इकबालिया बयान मजिस्ट्रेट को दिखाया गया तो उन्होंने कहा कि वह वही बयान है, जो 21 फरवरी को दर्ज किया गया था।

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