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पुस्तक मेला और पुस्तक बाजार

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कोलकाता में इन दिनों पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। पुस्तक मेले सजुड़ी रिपोर्ट हमें भिजवाई है मशहूर लेखक और प्रकाशक त्रिदिब कुमार चटोपाध्याय ने। चटोपाध्याय पब्लिशर्स गिल्ड के अध्यक्ष भी हैं।

बीसवीं सदी के तृतीय दशक में पुस्तक मेले का प्रारंभ हुआ था। 1932 में इंग्लैंड में छोटे पैमाने पर पुस्तक मेला शुरू हुआ था। 1944 में बड़े पैमाने पर पुस्तक मेला प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। इस मेले में देश-विदेश के प्रकाशकों ने भाग लिया था। इसके बाद 1949 में जर्मनी के फ्रेंकफर्ट शहर में विश्व पुस्तक मेला प्रारम्भ हुआ था।

भारत में ने नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा 1975 दिल्ली में प्रथम अंतरराष्ट्रीय विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया गया था। 1976 में पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड ने कोलकाता पुस्तक मेले का आयोजन किया था। सिर्फ आठ साल में कोलकाता पुस्तक मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा।

इस सफलता से प्रेरित होकर कोलकाता पुस्तक मेले ने कामयाबी के कदम चूमे। दुनिया भर के पाठक कोलकाता पुस्तक मेले से परिचित होने लगे, लेकिन कोलकाता पुस्तक मेले की यह कामयाबी कुछ लोगों को सहन नहीं हुई। इसमें देखा जाए तो राज्य सरकार ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार थी क्योंकि कोलकाता पुस्तक मेला कमेटी की ओर से बार-बार पत्र भेजा गया था मगर प्रशासन की ओर से मैदान में किसी भी जगह स्थायी रूप में पुस्तक मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी गई थी।

इसका फायदा उठाया समाज के कुछ विशेष वर्ग के लोगों ने खासकर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठनों ने। ताजमहल को लेकर भी देश के पर्यावरणवादियों ने आवाज उठाई थी कि प्रदूषण के कारण ताजमहल का रंग दिनोदिन काला होता जा रहा हैं। इससे प्रेरित होकर सन 2002 में कोलकाता हाईकोट में एक जनहित याचिका दायर की गई। सन 2007 में कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण मैदान में पुस्तक मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। मगर अंतिम क्ष‍णों में विदेशी प्रकाशक और अतिथियों के बारे में सोचकर गिल्ड ने दस दिन के अंदर सन 2007 में सॉल्टलेक स्टेडियम में छोटे पैमाने पर पुस्तक मेले का आयोजन किया था।

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सन 2008 में पुस्तक मेले के लिए मैदान पाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी गई। इसके लिए राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार को बार-बार अनुरोध किया गया। मगर मैदान में पुस्तक मेला आयोजन की अनुमति नहीं दी गई। राज्य शासन अगर नगरपालिका की पार्क से पार्कसरकस के मैदान में पुस्तक मेला आयोजन के लिए प्रस्ताव रखा गया, लेकिन फिर से पुस्तक मेला शुरू होने की 8 दिन पहले फिर से पुस्तक मेला के खिलाफ जनहित का मामला दर्ज किया गया। हाईकोर्ट याचिका पर कहा कि पार्क सरकस में पुस्तक मेले का आयोजन नहीं किया जा सकता है।

इसके बाद गिल्ड ने फैसला किया कि वह अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेगी। इस बीच छोटे और मध्यम वर्ग के प्रकाशकों के बारे में सोचकर राज्य प्रशासन ने सॉल्टलेक स्टेडियम में पुस्तकमेला आयोजन करने का फैसला किया। इस पुस्तक मेले में बड़े प्रकाशकों को ज्यादा मिला। मेला में बडे प्रकाशकों को ज्यादा फायदा मिला। पुस्तक मेला 2008 के नाम से इस मेले का उद्‍घाटन किया गया। सन 2009 के पुस्तक मेले के लिए लेकिन गिल्ड की लड़ाई अभी भी जारी है।

23 अप्रैल से से नंदन रवीन्द्र सदन प्रांगण में पुस्तक मेले का उद्‍घाटन हुआ है। यह पुस्तक मेला 4 मई 2008 तक चलेगा। इस आयोजन से छोटे एवं मध्यम वर्ग के प्रकाशक खुश हैं और वे पाठक खुश हैं, जो पुस्तक के जरिये जीवन का आनंद उठाते हैं क्योंकि इस पुस्तक बाजार में वे बहुत सस्ते दामों में अपनी पसंदीदा किताबें खरीद पा रहे हैं।
इस समाचार को बंगाली में भी पढ़ें

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