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बंबई हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर लगाया जुर्माना

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मुंबई , बुधवार, 26 जून 2013 (20:15 IST)
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मुंबई। मॉरीशस की अदालत में नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में सजायाफ्ता व्यक्ति के आवेदन पर केंद्र सरकार के कोई प्रतिक्रिया नहीं देने से नाराज बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र पर 25 हजार रुपए का जुर्माना किया।

व्यक्ति ने भारतीय कानून के तहत राहत के लिए केंद्र सरकार के समक्ष आवेदन किया था। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ प्रेमकिशोर राज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में राज को मॉरीशस की पुलिस ने मई 1996 में गिरफ्तार किया था। राज को 371.3 ग्राम हेरोइन रखने का दोषी पाया गया था और उसे 30 वर्ष के कैद की सजा सुनाई गई जिसे बाद में घटाकर 23 वर्ष कर दिया गया। भारत और मॉरीशस के बीच समझौते के मुताबिक राज को वर्ष 2008 में भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया। बहरहाल, प्रत्यर्पण याचिका में उसके सजा की तारीख एक जनवरी 1999 थी।

उसने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की कि भारतीय कानून के मुताबिक उसे राहत दी जाए और जल्द रिहा किया जाए। दोनों देशों के बीच समझौते के मुताबिक सजायाफ्ता को अपने देश के कानून के मुताबिक लाभ लेने की अनुमति है।

उच्च न्यायालय ने 2011 में राज को निर्देश दिया था कि जल्द रिहाई के लिए वह केंद्र सरकार के समक्ष प्रतिनिधित्व करे। बहरहाल तबसे सरकार ने उच्च न्यायालय में यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि प्रतिनिधित्व पर इसने अभी तक निर्णय नहीं किया है, लेकिन केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को बुधवार को सूचित किया कि उसने प्रतिनिधित्व पर निर्णय कर लिया है लेकिन सभी अधिकारी उत्तराखंड में बाढ़ को लेकर व्यस्त हैं इसलिए इस पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।

इससे क्षुब्ध न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा कि अगर विदेश यात्रा के दौरान किसी फाइल पर निर्णय करना होता तो पारगमन के दौरान इस पर निर्णय कर लिया गया होता, तो फिर इस फाइल (राज के प्रतिनिधित्व) पर पारगमन में निर्णय क्यों नहीं हुआ? केंद्र सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना करते हुए पीठ ने याचिका पर सुनवाई की अगले हफ्ते तय की। अदालत में अगले हफ्ते तक राशि जमा करानी है। (भाषा)

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