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मैं 'कुबेर' पर नहीं आया-कसाब

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मुंबई , सोमवार, 29 मार्च 2010 (22:46 IST)
26/11 के आतंकवादी हमलों के मामले में जीवित एकमात्र आरोपी अजमल कसाब ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह और नौ अन्य लोग यहाँ कुबेर नौका पर चढ़कर आए थे। उसका दावा है कि पुलिस को आतंकी हमलों से एक महीने पहले यह नौका लावारिस अवस्था में मिली थी।

कसाब के वकील केपी पवार ने न्यायाधीश एमएल टाहिलियानी के समक्ष दलील दी कि स्टेशन डायरी का पहला पन्ना दिखाता है कि यह लावारिस नौका पुलिस को 27 अक्टूबर 2008 को आतंकी हमलों से ठीक एक महीने पहले मिली थी।

हालांकि विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने दलील दी थी कि स्टेशन डायरी में जानकारी को एक क्रम में पढ़ा जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पुलिस ने नौका को 27 नवंबर 2008 को जब्त किया था न कि एक महीने पहले।

पवार ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि कसाब ने पुलिस के सामने कुबेर नौका से मुंबई पहुँचने की बात कबूली थी। उन्होंने कहा कि कसाब के कहने पर कुबेर जब्त करने की पुलिस की कहानी पूरी तरह झूठी है।

पवार ने अंतिम दलीलों में कहा कि यदि यह सच है तो अतिरक्त पुलिस आयुक्त एस. जगन्नाथन ने स्टेशन डायरी में इस बात को अंकित किया होगा कि संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) राकेश मारिया ने उनसे कसाब के रहस्योद्घाटन के बाद कुबेर का पता लगाने के लिए कहा था। पवार ने कहा कि स्टेशन डायरी में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि कुबेर कसाब के कहने पर मिली थी।

बचाव पक्ष का कहना था कि एसीपी जगन्नाथन ने डायरी में इस बात का जिक्र नहीं किया है कि पुलिस को यह जानकारी कसाब से मिली थी कि कुबेर को आतंकवादियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई पहुँचने पर लावारिस छोड़ दिया था। पवार ने कहा कि हालाँकि पंचनामा दिखाता है कि कुबेर के नेविगेटर अमरसिंह सोलंकी का शव नौका के इंजन रूम में मिला था, जो झूठ है। इस तरह से उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि कसाब ने सोलंकी की हत्या कर दी थी।

पवार की दलील दी थी कि कसाब और अन्य लोग सोलंकी के शव को कुबेर के इंजन रूम में डालने के बजाय सम्रुद में फेंक सकते थे। (भाषा)

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