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राहुल को मारकर सही किया-राज ठाकरे

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मुंबई (भाषा) , शनिवार, 1 नवंबर 2008 (10:32 IST)
उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपने अभियान को लेकर हमले झेल रहे मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शुक्रवार को छठ पूजा पर अपना रुख नरम करते हुए कहा कि वे महाराष्ट्र में यह त्योहार मनाए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में करने के खिलाफ चेतावनी दी। छठ उत्सव चार नवंबर को मनाया जाएगा।

ठाकरे ने यहाँ कहा मैंने कभी छठ पूजा का विरोध नहीं किया, लेकिन सिर्फ उससे जुड़े राजनीतिक तमाशे के खिलाफ बात की है। यहाँ रह रहे बिहार से आए लोग अपने रीति-रिवाजों के अनुसार त्योहार मना सकते हैं। पार्टी ने इसका कभी विरोध नहीं किया।

मनसे प्रमुख ने चेतावनी दी कि वे प्रदेश में मराठी भाषी लोगों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। ठाकरे ने अपने समर्थकों से संयम बरतने को कहा और मीडिया पर उनके विचारों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।

मुंबई में एक बस का अपहरण करने वाले युवक की मौत को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस कार्रवाई उचित थी, क्योंकि कोई नहीं जानता था कि वह युवक किस राज्य का है।

ठाकरे ने लोकल ट्रेन में युवाओं के दो समूहों के बीच कहासुनी के दौरान उत्तरप्रदेश के युवक के मारे जाने पर कहा कि रेलवे पुलिस तक यह कह रही है कि इसमें कोई भी राजनीतिक दल शामिल नहीं है।

ठाकरे ने उस घटना को याद किया, जब चार मराठी युवकों को अन्य राज्य के लोगों ने ट्रेन से बाहर फेंक दिया था, लेकिन किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।

देशमुख को चुनौती : ठाकरे ने उनकी सुरक्षा हटाने के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की आलोचना की और इस कदम को राजनीति में बदले की कार्रवाई करार दिया।

मनसे प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा के लिए नहीं कहा था, लेकिन अब यह हटा ली गई है और जो स्पष्ट रूप से राजनीति में बदले की कार्रवाई है। सरकारें बदलती रहती हैं और मुझे भी कल मौका मिलेगा।

उन्होंने कहा कि एक राज्य स्तरीय समिति होती है, जो किसी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या को देखते हुए नहीं, बल्कि खतरों के अनुसार सुरक्षा के बारे में फैसले करती है। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद उन राजनेताओं की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, जिनके खिलाफ मामले दर्ज थे। ठाकरे ने खुद के खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज करने की माँग को बेतुका करार दिया।

राज ने कहा कि जब लालूप्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे, वहाँ 1200 हत्याएँ हुईं, लेकिन उनके खिलाफ रासुका के तहत मामला दर्ज करने की कोई माँग नहीं उठी। जब असम में बिहारी मारे गए तब कोई हंगामा नहीं हुआ। गोवा के मंत्री ने गोवा और बिहार के बीच ट्रेन शुरू करने का यह कहते हुए विरोध किया कि राज्य और भिखारी नहीं चाहता।

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी बिहार और उत्तरप्रदेश के लोगों के खिलाफ बात की थी, लेकिन जब सिर्फ राज ठाकरे बोलता है तो देशभर में हंगामा हो जाता है और प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करते हैं।

ठाकरे ने कहा कि उन्हें देशमुख से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि आप उस व्यक्ति से क्या उम्मीद करेंगे, जिसका राजनीतिक अस्तित्व दिल्ली की कृपा पर टिका है। मनसे प्रमुख ने यह भी कहा कि वह किसी को भी मराठी पहचान को नुकसान पहुँचाने की इजाजत नहीं देंगे।

बिहार के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से मुलाकात के संदर्भ में ठाकरे ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को कई मुद्दों पर आँख से आँख मिलाते नहीं देखा जाता, लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र के 48 सांसद मूकदर्शक बने हुए हैं।

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