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विज्ञान पत्रकारिता के प्रति समर्पित रहे डॉ. राकेश त्रिवेदी

- प्रदीप जैन

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शहर की पत्रकारिता के अनगिनत नक्षत्रों में डॉ. राकेश त्रिवेदी विज्ञान लेखन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने विज्ञान पत्रकारिता को नए सिरे से परिभाषित किया था।

वे नईदुनिया में रहते हुए पर्यावरण और विज्ञान विषयों से संबंधित प्रामाणिक लेखन कर रहे थे। वे प्रगत प्रौद्योगिकि संस्थान को इंदौर में स्थापित कराने के संघर्ष में सबसे आगे खड़े थे।

डॉ. भवालकर से उनके सीधे संबंध थे। केट के इंदौर में आने के बाद उन्होंने विज्ञान के इस उच्च संस्थान से जानकारियां हासिल करके अनेक लेख और रिपोर्टाज लिखे। दरअसल उन दिनों नईदुनिया के अलावा किसी और अखबार के पास इतनी वैज्ञानिक समझ वाला रिपोर्टर ही नहीं था जो प्रामाणिकता से विज्ञान के गूढ़ और जटिल विषयों पर सरल भाषा में लिख पाता। शहर में कई स्थानों पर हरियाली बचाने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

वैष्णव पॉलिटेक्निक से लगे एक सरकारी संस्थान में पेड़ काटे जा रहे थे। उन्होंने इसका विरोध करते हुए खूब लिखा। उन्होंने अपने आलेखों और रिपोर्ट्स के माध्यम से अधिकारियों को यह बताने की कोशिश की कि पेड़ों का झुंड किसी भी कॉलोनी के लिए फेफड़ों की तरह काम करता है।

भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों को काटना कोई बुद्धिमानी नहीं है। उन्होंने पेड़ों को बचाने का अलख तब जगाया था जब पेड़ों के संरक्षण के प्रति आमजन में कोई जागरूकता नहीं थी। वे विज्ञान पढ़ाते थे और छात्र विषय पर उनकी पकड़ और अथाह ज्ञान के कायल हो जाते थे।

नईदुनिया में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं थी। उनका निश्छल व्यवहार और स्वाभाविक मुस्कान सभी को उनके दोस्तों में तब्दील कर देते थे। उनकी विनोदवृत्ति के सभी दीवाने थे। समसामयिक विषयों पर उनकी सटीक टिप्पणियां उनके सेंस ऑफ ह्यूमर का प्रमाण हैं। आज वे हम में नहीं हैं लेकिन उनके काम हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे।

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