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माँ देती है उपहार में खुशियाँ

माँ-बेटी का रिश्ता सबसे प्यारा

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गायत्री शर्मा

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जब एक औरत किसी बच्चे को अपनी कोख से जन्म देती है तो उसके साथ उसका आत्मीय रिश्ता जुड़ जाता है। कहा जाता है कि ईश्वर ने औरत को दर्द सहने के लिए व प्यार, स्नेह तथा ममता लुटाने के लिए बनाया है।

औरत की मोम सी यह सुंदर काया जीवन भर न जाने कितनी शारीरिक व मानसिक दु:ख-तकलीफें सहती है परंतु फिर भी उसके लबों पर ‍कोई शिकवा या शिकायत नहीं होती है।

औरत अपनी यह खूबी अपनी कन्या संतान को विरासत में देती है। यह सत्य है कि एक माँ, पिता की बजाय बेहतर तरीके से अपनी बेटी की हर परेशानी को समझ सकती है। यही कारण है कि माँ-बेटी का रिश्ता सबसे करीबी व आत्मीय रिश्ता माना जाता है।

  एक औरत ही औरत को बखूबी समझ सकती है। माँ हमेशा यह चाहती है कि उसकी बेटी जहाँ भी रहे, सुखी रहे। अपनी इसी चाह को पूरा करने के लिए न जाने वह कितने त्याग करके अपनी बेटी की बिदाई में उसके आँचल में खुशियाँ उपहार स्वरूप देती है।      
यह रिश्ता किसी औपचारिकता या आडंबर का मोहताज नहीं होता। माँ-बेटी दोनों एक-दूसरे से इस कदर आत्मीयता व संवेदना के तारों से जुड़े होते हैं कि बेटी की हर तकलीफ में माँ के व माँ के हर दुख में बेटी के आँसू स्वत: ही निकल जाते हैं।

कहते हैं दूरियाँ दिलों को पाटती हैं परंतु माँ-बेटी के रिश्ते में ऐसा नहीं होता है। इस रिश्ते में तो दूरियाँ रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ करती है। विवाह के बाद भी बेटी का माँ के प्रति लगाव कम नहीं होता है बल्कि और अधिक बढ़ जाता है।

एक औरत ही औरत को बखूबी समझ सकती है। माँ हमेशा यह चाहती है कि उसकी बेटी जहाँ भी रहे, सुखी रहे। अपनी इसी चाह को पूरा करने के लिए न जाने वह कितने त्याग करके अपनी बेटी की बिदाई में उसके आँचल में खुशियाँ उपहार स्वरूप देती है।

सदियों से प्यार की मिसाल बनता आया माँ-बेटी का यह पाक रिश्ता हमेशा यूँ ही कायम रहे तथा हर माँ का अपनी लाडली बेटी पर प्यार हमेशा बरसता रहे। हमारी यही आशा है

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