साँई दास बाबा : 13 अक्टूम्बर 1945 को श्रीकांत मिश्रा का जन्म हुआ। ये बैतूल के रहने वाले हैं। इनके भी बाल सत्य साँई बाबा जैसे झबरीले हैं। ये भी मोटे-तगड़े लेकिन शांत स्वभाव के हैं। लोग इन्हें भी साँई का अवतार कहते हैं लेकिन इन्होंने स्वयं को साँई का दास मान रखा है।अनिरुद्ध बापू : कहते हैं कि साँई बाबा ने समाधि लेने के पूर्व अपनी कुछ वस्तुएँ अपने प्रिय शिष्य को दी थी और कहा था कि मैं जब फिर से जन्म लूँगा तो यह वस्तुएँ लेने आऊँगा। तब से ही ये वस्तुएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुरक्षित रखी गईं, फिर एक दिन एक व्यक्ति ने आकर कहा मेरी वस्तुएँ मुझे दो और उक्त वस्तुओं के उसने नाम भी बताए। वह व्यक्ति ही साँई हैं ऐसा अनिरुद्ध के भक्त कहते हैं।
अनिरुद्ध जोशी का जन्म 18 नवंबर 1956 में महाराष्ट्र के मुंबई में त्रिपुरारी पूर्णिमा के दिन हुआ। डॉ. अनिरुद्ध जोशी ने भी स्वयं को साँई घोषित कर रखा है। उनके भक्त उन्हें अनिरुद्ध बापू या साँई कहते हैं। ये उक्त साँई जैसा चोगा नहीं पहनते बल्कि सूट-बूट में रहते हैं। इनके भक्त शनिवार के दिन इनकी आराधना करते हैं। उन्होंने अपने नाम का मंत्र भी निकाला है।