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मकर संक्रांति पर्व

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* धर्म सिन्धु ग्रंथ के अनुसार- संक्रांति पर्व के दिन सफेद तिल से देवताओं का तथा काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए। मकर संक्रांति वाले दिन शिवलिंग पर शुद्ध घी का अभिषेक करने से महाफल प्राप्त होता है। इस दिन शंकरजी के मंदिर में तिल्ली के तेल के दीये अवश्य जलाना चाहिए।

* वायुपुराण के अनुसार- मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर दूर्वा, दधि, मक्खन, गोबर, यव, रक्त चंदन, लाल फूल, जल सहित कलश सवत्सौ, गौ बैल, मृतिका, धान्या को पीपल के वृक्ष को स्पर्श कराकर दोनों हाथ को आकाश मंडल की ओर उठाकर सूर्य को प्रणाम करना चाहिए।

* ब्रह्मांड पुराण के अनुसार- यशोदा माँ ने मकर संक्रांति के अवसर पर दधि मंथन कर दान किया था। तभी उन्हें पुत्र के रूप में स्वयं श्रीकृष्ण भगवान प्राप्त हुए थे।

* शिव रहस्य ग्रंथ के अनुसार- मकर संक्रांति के दिन तिल और सरसों का दान करने की बात कही गई है।

* कालिका पुराण के अनुसार- उत्तरायण में सदैव तिल्ली का हवन करना श्रेष्ठ बताया है। जिस व्यक्ति का जन्म उत्तरायण में हुआ हो उसे भगवान के मंदिर में और ब्राह्मण को स्वर्ण सहित तिल्ली दान करने पर कभी दुःख और शोक नहीं होगा।

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, गुड़, तिल्ली, दान, स्नान और यज्ञ का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन दिया गया दान इस जन्म एवं अगले जन्म में करोड़ों गुना होकर मिलता है।

संक्रांति के दिन तिल का उपयोग 6 प्रकार से किया जाता है अर्थात तिल का उबटन, जल में मिले तिल से स्नान, तिल से हवन, तिल मिश्रित जल को पीना, तिल का दान, तिल को खाना चाहिए।

तिल्ली को ग्रंथों में पापनाशक बताया है। इसी दिन पवित्र नदियों में स्नान की भी परंपरा है। संक्रांति से ही सूर्य उपासना प्रारंभ करना शुभ फलदायक है।

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