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जहाँ बसते हैं हरि - हरिद्वार

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तरूण हिंगोरानी

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'हरिद्वार' का अर्थ हएक ऐसा स्थान, जहाँ पहुँचते ही एक अलग-सी अनुभूति हो। ऐसा लगे कि हम भगवान श्री हरि विष्णु के नगर में पहुँच गए हैं

हरिद्वार के वातावरण में अनूठी पवित्रता और धार्मिकता नजर आती है। नगर में चारों ओर भगवान के भजन गूँजते रहते हैं। गंगा के निर्मल जल की कल-कल ध्वनि से मुग्ध कर देने वाला संगीत पैदा होता है, जो यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। हरिद्वार को भारत की धार्मिक राजधानी माना जाता है। यहाँ के घाटों पर साधु-संतों का डेरा लगा रहता है।

साल भर यहाँ श्रद्धालु आते रहते हैं। कुछ श्रद्धालु यहाँ पर गंगा स्नान के लिए आते हैं। कुछ यहाँ घूमने व दर्शनीय स्थलों को देखने आते हैं। कुछ यहाँ पर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण कराने के लिए आते हैं

हरिद्वार की एक और खास बात यहाँ के पंडितों का लेखा-जोखा है। हरिद्वार के पंडितों के पास आपके परिवार का पीढ़ी-दर-पीढ़ी का लेखा-जोखा रहता है। यह लेखा-जोखा हजारों वर्षों से वर्तमान पंडितों के पूर्वजों के द्वारा सँभालकर रखा गया है।

मुख्य आकर्षणः-
हर की पोड़ी- हरिद्वार में माँ गंगा का पावन स्थान ‘हर की पोड़’ को कहा जाता है। यहाँ पर गंगा माता का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। रोज शाम को सूर्यास्त के समय गंगा माता की आरती होती है। उस समय यहाँ भक्तों का मेला-सा लग जाता है। इस आरती को देखने के लिए लाखों विदेशी पर्यटक हरिद्वार की तरफ खिंचे चले आते हैं।

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हरिद्वार में माँ गंगा एक सिरे से दूसरे सिरे तक बहती हैं, लेकिन जो पुण्य हर की पौड़ी में स्थित ‘ब्रह्मकुं’ में स्नान से मिलता है, वह कहीं नहीं मिलता। माना जाता है कि अमृतमंथन के बाद अमृत की कुछ बूँदें यहाँ गिरी थीं, इसलिए इसे ब्रह्मकुंड कहा जाता है।

मंदिर- यह पावन नगरिया कई मंदिरों से भरी हुई है। हरिद्वार में हर की पौड़ी के सामने की पहाड़ी पर माता मनसा देवी का प्राचीन मंदिर है। वहीं दूसरी ओर पहाड़ी पर माता चंडीदेवी का प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर काफी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं

यहाँ पर ट्रस्ट के द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए उड़नखटोला (रोप वे) बनाया गया है, जिससे दो जगहों पर यात्री कुछ समय में ही माता के दर्शन कर लौट सकते हैं। हरिद्वार में हजारों मंदिर हैं। यहाँ की हर गली हर नुक्कड़ में एक नया मंदिर मिलेगा। इन्हें देखने का एक ही नियम है बस आप पैदल घूमते जाएँ-दर्शन करते जाएँ।

बाबा रामदेव का आश्रम- हरिद्वार के पास कनखल नामक एक स्थान है, जहाँ पर विश्व प्रसिद्ध योगाचार्बाबा रामदेव' का आश्रम है। यह आश्रम प्रकृति की गोद में बेहद सुरम्य स्थान पर बना है। यहाँ हर साल कई लोग अपने मर्ज भगाने और योग सीखने आते हैं।

ऋषिकेश- हरिद्वार से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश है। यहाँ पर ही विश्व प्रसिद्ध राम झूला एवं लक्ष्मण झूला नामक पुल हैं, जो गंगा नदी पर बने हैं। इनकी सुंदरता देखते ही बनती है। यहाँ से पहाड़ों के बीच से बहती हुई गंगा नदी का दर्शन बड़ा मनोरम प्रतीत होता है। यहाँ पर भी कई प्राचीन मंदिर हैं। पहाड़ों से घिरा होने के कारण यह नगर अत्यंत ही सुंदर लगता है

यहाँ से ही देहरादून, मसूरी, उत्तरकाशी, चमोली टिहरी धारायु, चम्बा जोशीमठ एवं उत्तर भारत के पर्यटन एवं मनोरम स्थल के लिए रास्ता जाता है। उत्तर भारत की चारधाम यात्रा भी इसी रस्ते से होकर जाती है।

कब जाएँ- हरिद्वार जाने के लिए मई माह से अक्टूबर-नवंबर माह तक का समय काफी अच्छा है। इस समय यहाँ का मौसम बेहद सुहावना होता है। वैसे भारी बारिश को छोड़कर यहाँ साल भर जाया जा सकता है।

कैसे जाएँ- हरिद्वार देश के सभी बड़े शहरों से सड़क-रेल-वायु तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो चार-धाम टूरिस्ट पैकेज भी ले सकते हैं।

कहाँ ठहरे- इस देवस्थल में अच्छे होटलों से लेकर कई धर्मशालाएँ हैं। सभी अखाड़ों के आश्रम हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।

बजट- हरिद्वार और आसपास के दर्शनीय स्थानों पर घूमने के लिए दस हजार से लेकर जितनी आपकी क्षमता हो, उतना बजट बनाया जा सकता है। यहाँ कई सस्ती धर्मशालाएँ हैं, जहाँ बुजुर्ग और श्रद्धालु लोग महीने भर भी ठहर सकते हैं। ऐसे में बजट पहले से बना लें तो बेहतर होगा।

मानचित्र में स्थति- हरिद्वार नगर उत्तरांचल राज्य में आता है। भारत की राजधानी दिल्ली से इस नगर की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। यहाँ से सड़क एवं रेल मार्गों के द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

टिप्सः-

· हरिद्वार हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थान है। यहाँ मर्यादित आचरण करें। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाने से बचें। उत्सव या किसी खास पूजा के दौरान यहाँ खासी भीड़ होती है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखें।

· यदि आप किसी मंदिर विशेष का दर्शन करना चाहते हैं तो उसके पट खुलने और बंद होने के समय का पहले से ध्यान रखें। बाहर खाने-पीने से बचें। खुले में बिक रही खाद्य सामग्री को नहीं खाएँ। अन्यथा बीमार पड़ सकते हैं। पीने के पानी का खास ध्यान रखें।

· यदि आप यहाँ किसी खास पारिवारिक पूजा के लिए जा रहे हैं तो पूजा के संबंध में पूरी पूछताछ कर लें। कितना खर्चा होगा, इसकी भी जानकारी ले लें तो अच्छा होगा। अन्यथा तगड़ा फटका लग सकता है। इसी तरह नकली पंडों से भी बचें। कई बार यहाँ मोल-भाव भी चलता है।

· यदि आपके साथ बुजुर्ग भी हों तो उनका मेडिकल चेकअप करवा लें। साथ ही आवश्यक दवाइयाँ अपने साथ जरूर रखें। आप कोई टूरिस्ट पैकेज ले रहे हैं तो वह कहाँ-कहाँ के दर्शन करवाएगा और कहाँ ठहराएगा, इसकी पूरी जानकारी पहले से ले लें।

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