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पूर्वमुखी माँ दुर्गा मंदिर

पुराना माँ की प्रतिमा में झलकता है तेज

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इंदौर के राजवाड़ा के पास स्थित माँ दुर्गाजी का मंदिर शहर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। श्रद्घालु यहाँ खिंचे चले आते हैं। माँ भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है। पूर्वमुखी मंदिर में माँ की मूर्ति महिषासुर मर्दिनी मुद्रा में है। देवी दुर्गा शक्तिस्वरूपा होने से प्रतिमा में अद्भुत तेज दिखाई देता है।

पुरानी मान्यता के अनुसार श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव होलकर प्रथम को माँ ने सपने में दर्शन देकर आदेश दिया कि प्रतिमा को महेश्वर में नर्मदा से निकालकर हाथी पर इंदौर लाया जाए। हाथी पर विराजी प्रतिमा जिस स्थान पर रुक जाए, वहीं इसे प्रतिष्ठापित कर दिया जाए।

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यह सवारी सुभाष चौक स्थित एक पुलिस चौकी पर आकर रुक गई और चौकी को हटाकर प्राण-प्रतिष्ठा कर प्रतिमा की स्थापना की गई। इस मंदिर के पुजारी शरद नारायण ने बताया कि यहाँ के संस्थापक पुजारी रामकृष्ण केशव थे जिन्हें महाराजा तुकोजीराव होलकर ने नियुक्त किया था। मूर्ति की स्थापना होली द्वादशी पर की गई थी।

पं. शरद नारायण ने बताया कि नवरात्रि पर माँ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। पूजन-अर्चन पूर्णतः महाराष्ट्रीयन पद्घति से होता है। नौ गज की साड़ी माँ की प्रतिमा पर चढ़ाई जाती है। यहाँ अमावस्या व पूर्णिमा पर विशेष पूजन व अभिषेक किया जाता है।

माँ की महिमा के कई किस्से श्रद्घालुओं से सुने जा सकते हैं, जो नियमित रूप से देवी स्थल पर आते हैं। माँ अपने भक्तों को आरती के समय विभिन्न रूपों में दर्शन देती हैं।

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