nachiketa story in hindi
शाम का समय था। पक्षी अपने-अपने
घोसले की ओर लौट रहे थे, पर वह बढ़ा जा रहा था, बिना किसी थकान और पछतावे के। उसे अपनी मंजिल तक पहुंचना ही था। यही उसके पिता की आज्ञा थी। उसका लक्ष्य था यमपुरी। वही यमपुरी, जहां यमराज निवास करते थे। उसे यमराज से ही मिलना था। यही उसके पिता का आदेश था।
लगातार तीन पहर तक चलने के बाद वह यमपुरी के द्वार पर जा पहुंचा। वहां पर दो यमदूत पहरा दे रहे थे।
उन्होंने जब उस बालक को देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। कौन है यह बालक, जो मौत के मुंह में चला आया? दोनों सोचने लगे। उसमें से एक यमदूत ने गरजती आवाज में उससे पूछा- 'हे बालक, तू कौन है और यहां क्या करने आया है?'