Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

तुम क्या हो

हमें फॉलो करें तुम क्या हो
- दीपाली पाटिल

ND
ND
जब कहना होता है बहुत कुछ तुमसे और
रह जाती है सारी बातें अनकही
तुम चुपके से घेर लेते हो
सपनों का एक कोना
फिर चुप नहीं रहने देते मुझे
पूरी करते हो हर अधूरी बात
नहीं कर पाती जब कोई निर्णय
हाथ थामकर ले जाते हो
एक नए क्षितिज की ओर
जब सब लगता है पहेली सा
तुम हँसकर सुलझा देते हो
जब सब होता है रंगविहीन
रंगों की तूलिका बन जाते हो
मेरे लिए आसान नहीं
कुछ शब्दों में तुम्हे बयाँ करना
की मेरी सारी कविताओं के कोष
तुमसे ही है भरे हुए
और तुम क्या हो मेरे लिए
रहने दो ये मत जानना
इस अनाम से बंधन में बँधे रहना
तुम उम्र भर के लिए
नाम के शब्दकोष में इसे
संकुचित मत करना कभी इसे
अनसुलझा ही रहने देना
रहना इसके दोनों सिरों को थामकर
जब तक गूँजेंगे इस धरती पर
पंछी झरनों और वेद ऋचाओं के स्वर।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi