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अनायास

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निर्मला जौहरी

आ जाते हैं आँखों में अनायास ही आँसू
पीड़ा के सारे पल खामोश सिरहाने बैठे

अपनी-अपनी कहने को आतुर लगते
अवसादों के मैंने मेघ गरजते देखे

देखे हैं मैंने करुणा के ज्वार उफनते
तभी अचानक कोई क्षण आसपास ठिठकते

नन्ही नरम हथेली मेरी आँखों पर रख देते
ममता की उष्मा में आँसू बादल बन जाते
अधरों पर मुस्कान का इंद्रधनुष रजाते

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