Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कोई एक पल

हमें फॉलो करें कोई एक पल
विजकुमासप्पत्ती

कभी कभी यूँ ही मैं,
अपनी ज़िंदगी के बेशुमार
कमरों से गुजरती हुई,
अचानक ही ठहर जाती हूँ,
जब कोई एक पल, मुझे
तेरी याद दिला जाता है।।

उस पल में कोई हवा बसंती,
गुजरे हुए बरसों की याद ले आती है

जहाँ सरसों के खेतों की
मस्त बयार होती है
जहाँ बैशाखी की रात के
जलसों की अंगार होती है

और उस पर खड़े,
तेरी आँखों में मेरे लिए प्यार होता है
और धीमे-धीमे बढ़ता हुआ,
मेरा इकरार होता है।।

उस पल में कोई सर्द हवा का झोंका
तेरे हाथों का असर मेरी जुल्फों में कर जाता है,
और तेरे होठों का असर मेरे चेहरे पर कर जाता है,
और मैं शर्माकर तेरे सीने में छुप जाती हूँ...

यूँ ही कुछ ऐसे रुककर : बीते हुए,
आँखों के पानी में ठहरे हुए,
दिल की बर्फ में जमे हुए,
प्यार की आग में जलते हुए...
सपने मुझे अपनी बाँहों में बुलाते हैं।।

पर मैं और मेरी ‍ज़िंदगी तो
कुछ दूसरे कमरों में भटकती है!

अचानक ही यादों के झोंके
मुझे तुझसे मिला देते हैं...
और एक पल में मुझे
कई सदियों की खुशी दे जाते हैं...

काश
इन पलों की उम्र ;
सौ बरस की होती ....

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi