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बंधन में भी आजादी

हमें फॉलो करें बंधन में भी आजादी

गायत्री शर्मा

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प्यार की अलग-अलग परिभाषाएँ है, जिसको जैसा अनुभव हुआ, उसने उस ढंग से प्यार को परिभाषित किया। कोई इसे जिंदगी कहता है तो कोई जीवन भर की सजा। कोई बंधन कहता है तो कोई आजादी, व्यक्तिश: इसके अनुभव और परिभाषाएँ बदलती जाती है।

यह तो हुई परिभाषाओं की बात परंतु यदि हकीकत पर गौर किया जाएँ तो यही बात सामने आती है कि यदि प्यार दो समझदार लोगों के बीच होता है तो वो कोई गुनाह या गुलामी नहीं होती है बल्कि वो जिंदगी का सबसे बेहतर रिश्ता होता है,‍ जिसमें‍ किसी बंधन का नहीं अपितु आजादी का अहसास होता है।

  प्यार जिंदगी देना जानता है, जिंदगी लेना नहीं। यह तो वह रिश्ता होता है, जो हमारे दु:ख-दर्दों के घाव पर प्यार का मरहम लगाता है और हमारे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर देता है। प्यार में दर्द का कोई नाम नहीं होता है।      
कहते हैं ना कि कभी-कभी जल्दबाजी व नासमझी के कारण लिया गया अच्छा फैसला भी जी का जंजाल बन जाता है। ऐसा ही कुछ अनसक्सेसफुल लव मैरिज कपल्स के साथ भी होता है। अपने प्यार को जीवनभर के लिए अपनाने का उनका फैसला तो बहुत अच्छा होता है परंतु उस फैसले में जल्दबाजी कई बार दु:खदायी हो जाती है और इस गलती को ‍छुपाने के लिए वो प्यार को ही दोष देने लगते हैं, जो गलत है।

प्यार जिंदगी देना जानता है, जिंदगी लेना नहीं। यह तो वह रिश्ता होता है, जो हमारे दु:ख-दर्दों के घाव पर प्यार का मरहम लगाता है और हमारे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ भर देता है। प्यार में दर्द का कोई नाम नहीं होता है।

इसका पर्याय तो मुस्कुराहट होता है। अब आप ही आँकलन कीजिए कि यदि आपको इस रिश्ते में छटपटाहट बंधन और खौफ का अहसास होता है तो माफ कीजिए आपका वो रिश्ता प्यार का रिश्ता नहीं है बल्कि जोर-जबरदस्ती का रिश्ता है।

बेहतर होगा कि आप स्वयं का और फिर अपने प्यार का सही समय पर मूल्यांकन करें ताकि भविष्य में दो जिन्दगियाँ तबाह होने से बच जाएँ और यह सुन्दर सा रिश्ता लज्जित ना हो।

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