-कमल शर्मा
फरवरी महीने का आखिरी सप्ताह हर साल देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अहम सप्ताह माना जाता है। इस सप्ताह में रेल बजट, आर्थिक सर्वे और आम बजट आता है जिसका असर आम से लेकर खास आदमी तक पड़ता है। आम बजट का तो शेयर बाजार को बेसब्री से इंतजार रहता है।
वित्तमंत्री के बोले गए एक एक शब्द पर शेयर बाजार उतार-चढ़ाव का खेल खेलता रहता है। हर साल की तरह भी इस साल शेयर बाजार को वित्तमंत्री से अनेक उम्मीदें हैं। यदि ये उम्मीदें पूरी होती हैं तो इन दिनों मंदी से पीड़ित शेयर बाजार में जान आ सकती है।
शेयर बाजार के खिलाड़ियों का कहना है कि यह तो कोई नहीं जानता कि आम बजट में शेयर बाजार के लिए क्या होगा। क्या बजट मंदी की ओर फिसले शेयर बाजार में जान फूँक देगा या मौजूदा मंदी को बढ़ा देगा। शेयर बाजार को जिस बात का सबसे ज्यादा इंतजार है वह है शेयर ट्रांसफर का मामला। इस समय तो इसे शार्ट टर्म लाभ गिना जाता है और इस पर सबसे ज्यादा विवाद है।
खुद वित्त मंत्रालय में इस पर एक राय नहीं है। कर कानून के तहत तीन तरह के सौदे हो सकते हैं। लांग टर्म कैपिटल गेन्स, एक वर्ष या इससे ज्यादा समय रखने वाले शेयरों पर यह लागू होता है। शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स, एक वर्ष से कम समय के लिए रखे गए शेयरों पर यह लागू होता है।
तीसरा, व्यावसायिक लाभ, यह शेयरों के दैनिक सौदों पर लागू होता है। पहले तरह के कारोबार में केवल सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स यानी एसटीटी ही लागू होता है, कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं। हाँ, सामान्य इक्विटी सेगमेंट के लिए डिलीवरी लेने पर एसटीटी की गणना 0.125 फीसदी की दर से की जाती है और डेरीवेटिव्ज सेगमेट के लिए 0.017 फीसदी है।
दूसरे मामले में एसटीसी लागू होने के अलावा दस फीसदी शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स लागू होता है। दैनिक कारोबार से जो व्यावसायिक लाभ कमाया जाता है उस पर एसटीटी के साथ तयशुदा स्लैब अनुसार सामान्य बिजनेस कर भी लागू होता है। अधिकतम स्लैब 33.99 यानी 34 फीसदी है। शेयरों की डिलीवरी के अलावा अन्य मामलों में एसटीटी थोड़ा अधिक 0.025 फीसदी लगता है।
निवेशकों का कहना है कि एसटीटी के संबंध में मौजूदा प्रावधान ठीक है और वित्त मंत्री इस सीमा को बढ़ा सकते हैं लेकिन भय यह है कि दूसरी राहत दिए बगैर ऐसा किया गया तो बाजार के सेंटीमेंट को तगड़ा झटका लग सकता है।
निवेशक लाभांश वितरण कर में भी कमी चाहते हैं। यह कर इस समय 15 फीसदी है और इस पर लागू अधिभार को गिना जाए तो यह कुल 16.995 यानी 17 फीसदी बैठता है। निवेशकों को शंका है कि वित्तमंत्री इस कर के संबंध में कोई राहत देंगे क्योंकि उन्होंने पिछले साल इस कर को बढ़ाया था। इसी तरह नजरें सेवा कर पर भी लगी हैं।
डार्क हॉर्स : केईआई इंडस्ट्रीज
लो टेंशन और हाई टेंशन पावर केबल्स के उत्पादन से जुड़ी देश की मुख्य कंपनी केईआई इंडस्ट्रीज देश में बिजली क्षेत्र के हो रहे विकास के साथ तेज गति से आगे बढ़ रही है। लो टेंशन केबल्स में इसकी 37 हजार किलोमीटर और हाई टेंशन केबल्स में तीन हजार किलोमीटर सालाना उत्पादन क्षमता है।
कंपनी ने अक्टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही के घोषित नतीजों में 233.5 करोड़ रुपए की आय पर 13.5 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। जबकि, पिछले साल समान अवधि में इसकी आय 160.5 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 11 करोड़ रुपए था। वर्ष 2006/07 में कंपनी की आय 604.3 करोड़ रुपए और शुद्ध मुनाफा 40.1 करोड़ रुपए रहा। 31 मार्च 2008 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में आय बढ़कर 885.1 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 58 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
केईआई इंडस्ट्रीज देश की दूसरी सबसे बड़ी पावर केबल उत्पादक कंपनी है और देश के शेयर बाजार में सूचीबद्ध सबसे बड़ी खिलाड़ी। कंपनी के चौपंकी स्थित नए संयंत्र में जनवरी के पहले सप्ताह से आंशिक उत्पादन आरंभ हो गया है। हालाँकि हाई टेंशन केबल्स इकाई का काम अंतिम चरण में है और इसके मई महीने से शुरु होने की उम्मीद है।
कंपनी की आय में इस संयंत्र का योगदान 350 करोड़ रुपए सालाना होने की संभावना है। इसके अलावा कंपनी के भिवाड़ी संयंत्र में चल रहे एचटी केबल अपग्रेडेशन और एलटी केबल विस्तार सुविधा अंतिम चरण में है। इस संयंत्र के अप्रैल 2008 तक आरंभ हो जाने की उम्मीद है।
कंपनी बिजली उत्पादन के लिए एक सब्सिडीयरी के माध्यम से उतरने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में कंपनी जल्दी घोषणा करेगी। कंपनी के ताजा नतीजों में मार्जिन पर एक दबाव दिखा जो इसके स्टेनलैस स्टील वायर सेगमेंट पर दिखा। निकिल के दामों में आए उतार चढ़ाव से कंपनी के मार्जिन पर दबाव आया।
केईआई इंडस्ट्रीज में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 35.82 फीसदी है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के पास 16.91 फीसदी, म्युच्युअल फंड व संस्थागत निवेशकों के पास 8.59 फीसदी, नॉन प्रमोटर कार्पोरेट के पास 24.45 फीसदी शेयर हैं, जबकि आम जनता के पास केवल 14.23 फीसदी श्ोयरधारिता है।
कंपनी को वित्त वर्ष 2008-09 में 1319.3 करोड़ रुपए की आय और 87 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा होने की उम्मीद है। जबकि, वित्त वर्ष 2009-10 में आय 1652.1 करोड़ रुपए और शुद्ध मुनाफा 110.8 करोड़ रुपए पहुँच जाने की आस है।
पिछले 52 सप्ताह में केईआई इंडस्ट्रीज का शेयर ऊपर में 169 रुपए और नीचे में 65 रुपए था। यह 27 फरवरी 2008 को 80 रुपए पर बंद हुआ। मध्यम से लंबी अवधि के निवेश के लिए यह बेहतर स्टॉक है क्योंकि कंपनी पावर केबल के बाद अब बिजली उत्पादन में भी उतरने जा रही है जिसका लाभ निश्चित रुप से निवेशकों को मिलेगा। केईआई इंडस्ट्रीज के शेयर का भाव आने वाले दिनों में 110 रुपए तक जा सकता है।
स्पष्टीकरण : केईआई इंडस्ट्रीज में खरीद सलाह जारी करते समय मेरा अपना निवेश नहीं है।
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