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जख्मी बाजार पर एक और घाव...

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-वेबदुनिया डेस्
वैश्विक आर्थिक मंदी की मार झेल रहे देश के शेयर बाजारों ने सोमवार को गिरावट का नया मंजर देखा। बाजार की सुबह तो खिली-खिली रही, लेकिन उसके बाद बिकवाली ने ऐसी फिजा बदली कि फिर निवेशक मुस्कान को तरस गए। उधर, विशेषज्ञों ने बाजार के और नीचे जाने की आशंका जताई है।

सेंसेक्स 506 अंक फिसलते हुए करीब ढाई माह बाद दोबारा 13000 अंक से नीचे चला गया और 3.87 प्रतिशत के नुकसान से 12595.75 अंक पर टूट गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी थोड़ा संभलकर चला और उसने 135 अंक का गोता लगाया।

  वैश्विक आर्थिक मंदी जारी रहने से अनिश्चितता का दौर बरकरार रहेगा। इस कारण बाजार और नीचे (12-11 हजार तक) जा सकता है      
-राजेश पालविया
जानकारों की मानें तो निवेशकों को बाजार के इस कदर बेहाल रहने की उम्मीद बिलकुल नहीं थी। कारण, अमेरिका को वित्तीय संकट से उबारने के लिए बुश प्रशासन द्वारा प्रस्तावित 700 अरब डॉलर के राहत पैकेज को कांग्रेस की मंजूरी मिल गई है। दूसरा कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट जारी है।

विश्लेषकों के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक की लेहमैन ब्रदर्स से संबद्धता की अटकलों और अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पैकेज को टुकड़ों में देने की घोषणा ने निवेशकों को दुविधा में रखा।

आखिरकार लब्धप्रतिष्ठित और निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी बैंक आईसीआईसीआई (इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने अटकलों को सही साबित कर दिया। उसका शेयर 12.11 प्रतिशत अर्थात 67.95 रुपए के नुकसान से 493.30 रुपए रह गया। इस वर्ष बैंक के शेयर में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा चुकी है।

आर्थिक मामलों के जानकार और अरिहंत कैपिटल मार्केट लिमिटेड के विशेषज्ञ राजेश पालविया के मुताबिक वैश्विक आर्थिक मंदी जारी रहने से अनिश्चितता का दौर बरकरार रहेगा। इस कारण बाजार और नीचे (12-11 हजार तक) जा सकता है। उन्होंने कहा अमेरिकी रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत प्रस्तावित 700 डॉलर की राशि एक साथ जारी नहीहोनकारबाजानहीसंभरहहैंअटकलेलगारहहैि राशि टुकड़ोमेजारजाएगी

पालविया ने कहा कि बाजार को बदहाल करने में डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट भी काफी हद तक जिम्मेदार है, क्योंकि विदेशी निवेशकों के कारण बिकवाली बनी हुई है। इसके अलावा विदेशी हैच फंड की पीनोट की अवधि 30 सितंबर को खत्म हो रही है। यह भी बिकवाली की वजह है। म्यूचुअल फंड और संस्थागत निवेशकों ने बाजार से किनारा कर रखा है। इसके नतीजतन बाजार को मदद नहीं मिल पा रही है।

बुरा रहा बीता हफ्ता : पिछले हफ्ते के कार्यदिवसों पर नजर डालें तो स्थिति ज्यादा उत्साहजनक कभी नहीं रही। अनिश्चितता के बीच सोमवार को अधिकांश बड़ी कंपनियों में बिकवाली का दबाव रहने से तेजी थम गई। सेंसेक्स 47 अंक तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 22 अंक नीचा रहा।

मंगलवार को भी यही हालात रहे और सेंसेक्स लगभग 424 अंक लुढ़क गया। तब तक दुनियाभर में निवेशक अमेरिकी सरकार की 700 अरब डॉलर की बचाव योजना का इंतजार कर रहे थे।

बुधवार को बाजार ने करवट ली और चालू माह के लिए वायदा एवं विकल्प कारोबार के निपटान सत्र से एक दिन पहले शॉर्ट कवरिंग को पूरा करने के लिए लिवाली का जोर रहा। इसके चलते सेंसेक्स 122 अंक तथा का निफ्टी 34 अंक ऊँचे बंद हुए।

बुधवार को उछले बाजार का उत्साह गुरुवार को हवा हो गया और सेंसेक्स ने 145 तथा निफ्टी ने 54 अंक की गिरावट दर्ज की। शुक्रवार को निफ्टी चार हजार अंक से नीचे लुढ़क गया। सेंसेक्स ने 445 अंक की डुबकी लगाई। इस तरह देखें तो बुधवार को छोड़ अन्य किसी भी कार्यदिवस में बाजार को खुशी नसीब नहीं हुई।

ऐसे में मौजूदा सूरते हाल को देखते हुए इतना तो कहा जा सकता है कि अमेरिका के वित्तीय संकट से उबरने और रुपए की कीमत में सुधार होने तक बाजार के चेहरे पर नूर लौटने की उम्मीद बेमानी है।

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