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विश्लेषण : मिड-कैप पीएसयू बैंकिंग सेक्टर

हमें फॉलो करें विश्लेषण : मिड-कैप पीएसयू बैंकिंग सेक्टर
, गुरुवार, 24 जनवरी 2008 (15:59 IST)
- सीए हिमांशु कंसल

मिड कैप शेयरों में तेजी का दौर जारी है। मिड-कैप पीएसयू बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों ने निवेशकों को गत 2-3 महीनों में औसतन 30-40 प्रश का लाभ दिया है। मिड-कैप पीएसयू बैंकिंग की सूची में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, सिंडीकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक इत्यादि हैं। विशेषज्ञों की राय में इन बैंकों के शेयर मूल्यों में आई तेजी के निम्नलिखित संभावित कारण हैं-

ब्याज दरों में स्थिरता
भारत में मुद्रास्फीति की बढ़त पर नियंत्रण पाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने गत वर्ष ब्याज दरों में तेजी से वृद्धि की थी। इस कदम का सकारात्मक असर हुआ और अब मुद्रास्फीति 3.0-3.5 फीसदी है। उधर, वित्तीय बाजारों में सब प्राइम संकट से उबरने के लिए अमेरिकी फेडरल बैंक ने ब्याज दरें घटा दीं।

विश्लेषकों के अनुसार अगर इन दोनों पहलुओं को जोड़ा जाए तो मध्यावधि में भारतीय ब्याज दरों के बढ़ने की संभावना शून्य है। वस्तुतः आरबीआई के सामने अब ब्याज दरों में कमी करने के अलावा विकल्प कम ही हैं। ऐसी परिस्थिति बैंकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, क्योंकि ब्याज दरों के घटने पर कॉर्पोरेट तथा रीटेल ऋणों की माँग बढ़ जाती है।

इंश्योरेंस बाजार में अवसर
लगभग सभी मिड-कैप पीएसयू बैंकों ने घरेलू बाजार में इंश्योरेंस व्यवसाय के लिए योजनाओं को मूर्तरूप दे दिया है। इलाहाबाद बैंक तथा इंडियन ओवरसीज बैंक ने सॉम्पो (जापान), यूनियन बैंक ने दाई-इची (जापान), आंध्र बैंक ने लीगल एंड जनरल ग्रुप (यूके), बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने सनलेम (दक्षिण अफ्रीका) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने एचएसबीसी इंश्योरेंस के साथ ज्वॉइंट वेंचर इंश्योरेंस कंपनियाँ बनाई हैं। भारतीय इंश्योरेंस बाजार का आकार बहुत बड़ा है और इसमें पेनेट्रेशन की संभावनाओं को पहचानते हुए इन बैंकों ने ये कदम उठाए हैं।

विलय की संभावनाएँ
सरकार का दृष्टिकोण पीएसयू बैंकिंग क्षेत्र में कंसॉलिडेशन के पक्ष में है। इसलिए सरकार पीएसयू बैंकों को आपस में विलय के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मर्जर, विलय आदि के समय मूल्यांकन महत्वपूर्ण हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यूनाइटेड बैंक के साथ विलय की खबर के कारण यूको बैंक का शेयर मूल्य 59.25 रु. से बढ़कर 80.40 रु. हो गया। इसी प्रकार केनरा बैंक द्वारा देना बैंक के अधिग्रहण की खबर के कारण देना बैंक के शेयर भाव में भी तेजी बनी हुई है। पीएसयू बैंकिंग सेक्टर में 22 लिस्टेड बैंक हैं, इसलिए भविष्य में विलय की प्रबल संभावना है। मिड-कैप पीएसयू बैंकिंग क्षेत्र में कई का वित्तीय प्रदर्शन सराहनीय है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
मिड-कैप पीएसयू बैंकों में यूनियन बैंक सबसे बड़ा है। इसकी 2200 से अधिक शाखाएँ हैं। विश्लेषकों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 07-08 में बैंक 1000 रु. करोड़ से अधिक का शुद्ध लाभ अर्जित करेगा। इस प्रकार प्रति शेयर आय (ईपीएस) लगभग 20 रु. होगी। यूनियन बैंक ने सितंबर 2002 आईपीओ में 16 रु. के भाव पर शेयर जारी किए थे। इस बैंक ने शेयरधारकों को अच्छा मुनाफा दिया है। वर्तमान शेयर मूल्य 229.05 रु. पर करीब 5 सालों में पूँजी 14 गुना हो गई है।

इंडियन ओवरसीज बैंक
बैंक की कुल शाखाएँ लगभग 1800 है। इनमें अधिकतर दक्षिण भारत में हैं। गत वर्ष भारत ओवरसीज बैंक का विलय करने के पश्चात यह बैंक अधिक सुदृढ़ हो गया है। इस बैंक की विशेषता इसके वित्तीय नतीजों में नियमित संवृद्धि है। गत 7 वर्षों में बैंक के शुद्ध लाभ में प्रतिवर्ष वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 07-08 में बैंक की प्रति शेयर आय (ईपीएस) 21 रु. होने की उम्मीद है।

इंडियन बैंक
बैंक की कुल शाखाएँ 1500 हैं। इनमें से करीब 45 प्रश तमिलनाडु में हैं। वित्त वर्ष 07-08 में बैंक का शुद्ध लाभ 900 करोड़ रु. तथा प्रति शेयर आय 21 रु. होने की उम्मीद है।

इलाहाबाद बैंक
बैंक की 2000 से अधिक शाखाएँ हैं। अधिकतर शाखाएँ उत्तरी तथा पूर्वी भारत में स्थित हैं। गत 5 वर्षों में बैंक ने उल्लेखनीय वित्तीय परिणाम घोषित किए हैं। वित्त वर्ष 2001-02 में शुद्ध ब्याज आय 730 करोड़ रु. तथा शुद्ध लाभ 80 करोड़ रु. था। वित्त वर्ष 06-07 में ये आँकड़े क्रमशः बढ़कर 1751 करोड़ रु. एवं 750 रु. करोड़ हो गए।

नवंबर 2002 आईपीओ में बैंक ने 10 रु. के भाव पर शेयर आवंटित किए थे। वर्तमान शेयर मूल्य 135.05 रु. पर लगभग 5 सालों में पूँजी 13 गुने से अधिक हो गई है। विश्लेषकों के मतानुसार वित्त वर्ष 07-08 में बैंक का शुद्ध लाभ 940 करोड़ रु. तथा प्रति शेयर आय (ईपीएस) 21 रु. होने की उम्मीद है। उपरोक्त चारों बैंकों में मूल्यांकन की दृष्टि से इलाहाबाद बैंक सबसे अधिक अंडर वेल्यूड है।
प्रकाशित लेखों के विचार से संपादक का सहमत होना कतई आवश्यक नहीं है। उनमें दी गई सलाह या दिशा-निर्देश भी लेखकों के अपने हैं, अतः उनके लिए वेबदुनिया उत्तरदायी नहीं है। निवेशकों से अनुरोध है कि वे सोच-समझकर निर्णय लें। -प्र.सं.

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