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गया से कम नहीं है सिद्धवट का महत्व

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वार्ता

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मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के सिद्धवट घाट पर श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की शांति, तर्पण और श्राद्ध करने का उतना ही महत्व माना गया है जितना की बिहार के गया तीर्थ में श्राद्ध करने से होता है।

पितृ पक्ष के दौरान पितरों की शांति के लिए यहाँ देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सिद्धवट मंदिर के पुजारी पंडित सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि सिद्धवट घाट पर कर्मकांड करने से पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि मान्यता के अनुसार त्रेता युग में माता पार्वती ने यहाँ वट वृक्ष रोपा था। इसी स्थान पर भगवान कार्तिकेय ने तपस्या की और एक भयानक असुर का संहार किया था। यह भी कहा जाता है कि यहाँ स्थित वट वृक्ष को भगवान महादेव का आर्शीवाद प्राप्त है।

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