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चाकू का वार भी नहीं तोड़ पाया जज्बा

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नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 1 नवंबर 2009 (16:59 IST)
तीन महीने पहले लुटेरों के चाकू का वार जब उनके सीने में लगा तो एकबारगी उन्हें लगा कि मैराथन विजेता बनने का उनका सपना अधूरा रह जाएगा लेकिन मजबूत इरादों के धनी संतोष कुमार ने हार नहीं मानी और दिल्ली हाफ मैराथन में भारत से दूसरा स्थान हासिल करके सपना साकार करने की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाए।

उत्तरप्रदेश के वाराणसी के रहने वाले संतोष पर बेंगलुरु में लुटेरों ने हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गए। उन्होंने कुछ समय अस्पताल में बिताया और फिर मैराथन की तैयारी में जुट गए।

दीपचंद सहारन के बाद भारत की तरफ से हाफ मैराथन में दूसरे स्थान पर रहे संतोष ने कहा कि मैंने स्वस्थ होते ही कड़ा अभ्यास शुरू कर दिया था और भारत से चोटी के तीन में रहने को लक्ष्य बनाया था। मुझे रेलवे में नौकरी के बाद जितना भी समय मिला वह मैंने अभ्यास में लगाया।

उन्होंने हालाँकि सरकार से गुजारिश की एथलीटों को अभ्यास के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए। संतोष ने कहा कि क्रिकेट में आप एक महीने विश्राम करके भी वापसी कर सकते हैं लेकिन एथलेटिक में यदि आप दो महीने जमकर अ5यास करके 15 दिन भी विश्राम करते हैं तो फिर आपका सारा किया धरा बराबर हो जाता है। एक या दो साल में एथलीट पैदा नहीं होता और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

संतोष का लक्ष्य भी हाफ मैराथन में भारत से पहले स्थान पर रहने वाले दीपचंद की तरह अगले साल के राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में पदक हासिल करना है। उन्होंने कहा कि मैं अब पूरी तरह फिट हूँ और पूरी मैराथन दौड़ सकता हूँ। यदि अभ्यास का पर्याप्त समय मिलता है तो मुझे विश्वास है कि मैं राष्ट्रमंडल या एशियाई खेलों में पदक जीतने में सफल रहूंगा।

पिछले कुछ वर्षो से मैराथन को पूरी तरह समर्पित सेना के दीपचंद के पास तैयारियों के लिए समय और अच्छे कोच भी हैं जो उन्हें इन दोनों खेल महाकुंभ के लिए ही तैयार कर रहे हैं।

राजस्थान के चुरू के रहने वाले इस धावक ने कहा कि मैं फुल मैराथन की तैयारी कर रहा हूँ और कोच डॉ. निकोलाई के कहने पर मैंने हाफ मैराथन में भाग लिया। मैं बेंगलुरु में निकोलाई के अलावा जोगिंदर भाटिया और रिदमल सिंह की देखरेख में कोचिंग ले रहा हूँ और मुझे राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में अच्छे प्रदर्शन की उमीद है।

दीपचंद की तरह केरल के रहने वाले सोजी मैथ्यूज भी पहले दस हजार मीटर की रेस में भाग्य आजमाते रहे लेकिन उन्हें अब मैराथन रास आने लगी है। उन्होंने कहा कि मैं अब तक तीन हाफ मैराथन में भाग ले चुका हूँ और अब राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों को देखते हुए फुल मैराथन की तैयारी कर रहा हूँ।

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