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दुनिया का एक खेल प्रेमी सम्राट ऐसा भी...

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-सीमान्त सुवी

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राजा-महाराजाओं के साथ-साथ शाही परिवारों का खेल प्रेम सदियों पुराना है। यूरोप के कुछ देशों में प्रजातंत्र के साथ शाही परिवारों की पूछ-परख में कोई कमी नहीं आई। ब्रिटेन का राजपरिवार इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।

स्पेन, स्वीडन, नार्वे, मोंटेकार्लो, जापान, थाईलैंड में आज भी शाही परिवार अपनी प्रतिष्ठा बनाए हुए हैं लेकिन स्पेन के सम्राट जुआन कार्लोस अलफांसो विक्टर मारिया (पूरा नाम) का खेल प्रेम तो कायल करने जैसा है। यकीन मानिए, आपको पूरी दुनिया में उनसे बड़ा खेल प्रेमी सम्राट इस समय कहीं देखने को नहीं मिलेगा।

5 जनवरी 1938 को जन्मे कार्लोस 1969 से 1975 तक स्पेन के राजकुमार रहे और 1975 के बाद से अब तक वे सम्राट की गद्दी संभाल रहे हैं। कार्लोस फुटबॉल, फार्मूला वन रेस के साथ ही साथ टेनिस के दीवाने हैं। 72 साल की उम्र के बावजूद वे खेलों की बारीकियों को समझते हैं बल्कि इन खेलों पर अपनी बेबाक राय देने से भी नहीं चूकते।

2005 में स्पेन के फर्नांडो अलोंजो जब फार्मूला-वन रेस में चैम्पियन बने तो सम्राट कार्लोस ने उन्हें 13 मोबाइल फोन उपहार में दिए, ताकि वे जब चाहें तब अलोंसो से बात कर सकें। खिलाड़ी तो अपने मन का राजा होता है, उसके सामने सम्राट की क्या हैसियत, लिहाजा उन्होंने कार्लोस को कोई फोन नहीं लगाया। उधर कार्लोस की बैचेनी बढ़ती जा रही थी। अंतत: उन्होंने अलोंजो के पास14वाँ मोबाइल फोन भिजवाया और उन्हें राजभवन आने का न्योता दिया।

दक्षिण अफ्रीका में 11 जून से शुरू होने वाली विश्व कप फुटबॉल की जंग में स्पेन को भले ही ब्राजील के बाद दूसरी फेवरेट टीम माना जा रहा हो लेकिन यह याद रखना भी जरूरी है कि स्पेनिश टीम विश्व कप के 19 संस्करणों में 13 बार क्वालिफाय करने के बावजूद कभी विजेता नहीं बन पाई। टीम के इस प्रदर्शन का सम्राट की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता और वे तमाम परिस्थितियों के बाद भी खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करने में जुटे हुए हैं।

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जर्मनी में 2006 में आयोजित 18वें विश्व कप में सम्राट कार्लोस अपने पूरे शाही लवाजमे के संग स्पेन के हर मैच में मौजूद रहे। सम्राट कार्लोस को उम्मीद है कि चार ‍विश्व कप के क्वार्टर फाइनल की दहलीज पर पहुँची स्पेनिश टीम दक्षिण अफ्रीका में अपनी यादगार छाप छोड़ते हुए ‍खिताब हासिल करने 'छुपा रुस्तम' होने की छवि स्थापित करेगी।

विश्वकप में स्पेन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1950 में उस वक्त देखने को मिला था, जब उसने चौथा स्थान पाया था। दक्षिण अफ्रीका में स्पेन को ग्रुप 'एच' में रखा है। इस टीम को चिली, होंडुरास और स्विट्‍जरलैंड से टक्कर लेना है।

सम्राट कार्लोस मानते हैं कि 29 साल के डेविड विला जैसा सुपर स्टार, जिन्होंने 55 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपने नाम के आगे 36 गोल चस्पा किए हैं, वे इस वक्त बेहतरीन फार्म में चल रहे हैं। उनका यही फार्म आई कैसिलास, इनिस्ता और फर्नान्डो टोरेस के लिए मददगार साबित होगा तथा वे स्पेनिश खिलाड़ियों को दक्षिण अफ्रीका की जमीं पर विश्व कप ट्रॉफी जीतने का जश्न अपनी बूढ़ी आँखों में कैद करेंगे।

स्पेनिश ताकत भले ही विश्व कप में क्वार्टर फाइनल में आकर दम तोड़ देती हो लेकिन यह वही टीम है, जिसने यूरोपियन फुटबॉल में तहलका मचाया था। स्पेन 1964 और 2008 का यूरोपीय फुटबॉल चैम्पियन है। यही नहीं, यूरो फुटबॉल (2008) के सेमीफाइनल में उसने रशिया के खिलाप 3-0 की धमाकेदार जीत दर्ज करके अपने सम्राट कार्लोस को रोमांचित कर डाला था। 2008 से 2009 तक स्पेन लगातार 35 मैच जीतने में कामयाब रहा था और इसी सफलता ने उन्हें उसे फीफा रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुँचा दिया।

स्पेन की टीम ने 1934 में पहली बार विश्व कप में शिरकत की थी और क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था। इसके बाद उसे इस पायदान में चढ़ने में पूरे 52 साल लग गए। 1986 में उसने फिर अंतिम आठ टीमों में स्थान बनाया। इसके बाद 1994 और 2002 में भी वह क्वार्टर फाइनल तक पहुँची लेकिन खिताब उससे दूर ही रहा।

स्पेनिश टीम के विश्व चैम्पियन न बन पाने की एक वजह ये भी रही कि उसके खिलाड़ी अलग-अलग लीग मैचों में खेलते हैं और मुँहमाँगी रकम पाते हैं। देश के लिए खेलने के लिए जब वे एकजुट होते हैं तो आपसी तालमेल बैठाने में वक्त लग जाता है और तब तक अवसर हाथ से फिसल जाता है।

बेशक, स्पेन आज दुनिया की नंबर दो टीम है और इसी हैसियत से वह दक्षिण अफ्रीका में अपने अभियान की शुरुआत करने जा रही है। टीम के हर खिलाड़ी की आँखों के सामने सम्राट कार्लोस का झुर्रियों से भरा चेहरा है और सभी चाहते हैं कि वे उम्र के इस पड़ाव पर पहुँच चुके कार्लोस को एक ऐसी खुशी की सौगात दें जो उन्हें फख्र की मीठी नींद सुलाए। सनद रहे कि उम्मीद वह दूब है, जो कब्र पर भी उगती है...

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