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प्रेमंचद डेगरा की नाराजगी

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इंदौर , सोमवार, 23 मई 2011 (21:51 IST)
भारत में बॉडी बिल्डिंग का दूसरा नाम कहलाने वाला यह 56 वर्षीय शख्स देश में इस खेल के भविष्य को लेकर जरा भी सशंकित नहीं है लेकिन पूर्व विश्व चैम्पियन प्रेमचंद डेगरा यह बताते हुए गुस्से और रंज की मिली-जुली भावना से भरे हुए नजर आते हैं कि खेल प्रशासकों के कथित स्वार्थी रवैये से देश के प्रतिभाशाली बॉडी बिल्डर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सही मुकाम नहीं हासिल कर सके।

डेगरा ने कहा मैं खुलकर कहता हूं कि प्रशासकों को इस उम्मीद से प्लेट में सजाकर चीजें दी गई थीं कि वे अच्छा काम करेंगे लेकिन उन्होंने इतने बरस बीत जाने के बाद भी कोई काम नहीं किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों के आगे न बढ़ने का बड़ा कारण यही है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि बॉडी बिल्डिंग प्रशासकों ने राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखते हुए अपने निहित स्वार्थ के लिए काम करना शुरू कर दिया। इससे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दमखम साबित करने के ज्यादा मौके नहीं मिल सके, जिनके वे सौ फीसदी हकदार थे।

वह जब बताते हैं कि शरीर सौष्ठव की प्राचीन परंपरा वाले देश में राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी बॉडी बिल्डिंग संगठन को सरकारी मान्यता नहीं है तो यह बात स्वाभाविक तौर पर चौंकाती है। डेगरा ने कहा, ‘सरकारी मान्यता न होने से बॉडी बिल्डिंग संगठनों को सरकार की आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है।’
बहरहाल, वर्ष 1988 में ‘मिस्टर यूनिवर्स’ का खिताब जीतने के बाद देश में शरीर सौष्ठव के खेल का पर्याय बनने वाले डेगरा इस बात से कतई हताश नहीं हैं। वह फिलहाल इंडियन बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन से जुड़े हैं।

डेगरा ने कहा, ‘देश में बॉडी बिल्डिंग का भविष्य उज्ज्वल है और हम इसे पेशेवर स्वरूप देते हुए गांव-देहातों तक पहुंचाना चाहते हैं। इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।’

इन कार्यशालाओं के दौरान बॉडी बिल्डिंग के ‘महागुरु’ युवा बॉडी बिल्डरों के कानों में यह मंत्र अनिवार्य तौर पर फूंकते हैं ‘अगर खेल के मैदान में लम्बे वक्त तक टिके रहना है तो ड्रग्स और स्टेरॉयड्स से दूर रहो। प्राकृतिक आहार और कड़ी मेहनत से शरीर गढ़ो। (भाषा)

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