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साइना नेहवाल जीतेंगी महिला खिताब

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नई दिल्ली , गुरुवार, 8 अप्रैल 2010 (20:30 IST)
एशियाई बैडमिंटन खिताब जीतने वाले एकमात्र भारतीय दिनेश खन्ना का मानना है कि विश्व की पाँचवें नंबर की महिला खिलाड़ी साइना नेहवाल 12 अप्रैल से यहाँ होने वाली एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में खिताब जीत सकती हैं।

खन्ना ने कहा कि वर्ष 1965 में लखनऊ में मेरी पुरुष एकल खिताबी जीत के बाद 45 वर्षो का लंबा समय गुजर चुका है और अब तक अन्य कोई भारतीय एशियाई खिताब नहीं जीत पाया है, लेकिन इस बार मैं पूरी उम्मीद कर रहा हूँ कि साइना 45 वर्षों का यह लंबा इंतजार समाप्त करेंगी और महिला खिताब जीतेंगी।

उन्होंने कहा कि साइना बेशक गत वर्ष बीडब्ल्यूएफ सुपर सिरीज मास्टर्स फाइनल के पहले राउंड रॉबिन मैच में मलेशिया की म्यू चू वांग से हार गई थी, लेकिन इस बार मुझे विश्वास है कि साइना को घरेलू दर्शकों से पूरा समर्थन मिलेगा और वह खिताबी सफर तय करने में कामयाब होंगी।

खन्ना ने 1965 में तीसरी वरीयता प्राप्त जापानी खिलाड़ी योशीनोरी इतागाकी के खिलाफ अपना क्वार्टर फाइनल मुकाबला याद करते हुए कहा कि मैंने प्री. क्वार्टर फाइनल में आठवीं वरीयता प्राप्त हांगकांग के खिलाड़ी को हराया था और मेरा मुकाबला क्वार्टर फाइनल में ऐसे खिलाड़ी से था जिसे अपनी चुस्ती और फुर्ती के लिए बाउसिंग बाल कहा जाता था। मुझे पता था कि यह मुकाबला मेरे लिए कड़ा इम्तिहान होगा।

खन्ना ने पहला गेम जापानी खिलाड़ी की गलतियों का फायदा उठाते हुए बातों-बातों में जीत लिया। दूसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच लंबी रैलियाँ देखने को मिली। दो रैलियाँ तो ऐसी थी, जिनमें 60 स्ट्रोक खेले गए जबकि आधा दर्जन रैलियाँ ऐसी थी जिनमें 50-50 स्ट्रोक खेले गए।

उन्होंने कहा कि दूसरे गेम में जब स्कोर 7-7 पहुँचा था तो उनके पैर लड़खड़ाने लगे थे, लेकिन वह जानते थे कि यह चुनौती शारीरिक से ज्यादा कहीं मानसिक है।

उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता था कि इतागाकी यह महसूस करें कि मैं परेशानी में दिखाई दे रहा हूँ। 12-12 के स्कोर पर खिंचाव असहनीय होता जा रहा था। लेकिन मैंने खुद से कहा कि डटे रहो और मुकाबले को अंतिम गेम में न खिचने दो और मैं इस गेम का 15-12 से जीतने में सफल रहा।

उन्होंने बताया कि एक अन्य भारतीय सुरेश गोयल ने टॉप सीड मलेशिया के यू चांग हुई को तीन गेमों में हराकर बाहर कर दिया था और सेमीफाइनल में उनका मुकाबला सुरेश से होना था। उस समय यह तो तय हो गया था कि कम से कम एक भारतीय फाइनल में खेलेगा।

खन्ना ने कहा कि सेमीफाइनल में मुझसे लंबी रैलियाँ खेलने से बचने की कोशिश में सुरेश ने कई गलतियाँ की और मैंने आसानी से यह मैच जीत लिया। फाइनल में मेरा मुकाबला दूसरी वरीयता प्राप्त थाईलैंड के खिलाड़ी सानोब रतना सुरान से हुआ।

खन्ना के नाम इससे पहले केवल पंजाब स्टेट का खिताब था और फाइनल में उनका मुकाबला ऐसे खिलाड़ी से हो रहा था जो दो बार आल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुँच चुका था। खन्ना से उम्मीदें बढ़ चुकी थीं और फाइनल से पहले उनकी मुलाकात हॉकी के जादूगर के डीसिंह बाबू से हुई और इस मुलाकात ने उनका आत्मविश्वास बढ़ा दिया।

उन्होंने कहा कि केडी सिंह बाबू ने मुझे शुभकामनाएँ दी जिसके बाद मैं पूरी तरह सकारात्मक दृष्टिकोण से कोर्ट में उतरा। फाइनल में जब तक कोई कुछ सोच पाता तब तक मैंने पहला गेम 15-3 से जीत लिया और दूसरे गेम में 12-8 की बढ़त बना ली। मैंने महसूस किया कि मैं खिताब से बस सिर्फ तीन अंक दूर हूँ। यहाँ मेरी एकाग्रता कुछ भंग हुई और थाई खिलाड़ी ने स्कोर 12-11 पहुँचा दिया। लेकिन फिर मैंने खुद को संभाला और गेम 15-11 से जीतकर एशियाई खिताब अपने नाम कर लिया।

लखनऊ से दिल्ली के अपने सफर को याद करते हुए खन्ना ने कहा कि ट्रेन गाजियाबाद के निकट कहीं रूक गई थी। चूँकि उन्होंने भारत का ब्लेजर पहना हुआ था तो आसपास खड़े कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि क्या वह वही दिनेश खन्ना हैं जिन्होंने एक दिन पहले लखनऊ में एशियाई चैंपियनशिप जीती थी। उन्होंने कहा, मेरे लिए यह सबसे संतोषजनक क्षण था।(वार्ता)

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