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सुंदरता की देवी ने पूछा कैसे हो चैम्पियन?

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- सीमान्त सुवी

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दक्षिण अफ्रीका में 11 जून से शुरू हो रहे 19वें विश्वकप फुटबॉल टूर्नामेंट में गत विजेता इटली को बेहद कमजोर टीम के रूप में देखा जा रहा है। अपने पहले ही अभ्यास मैच में मैक्सिको के हाथों 1-2 से हुई पराजय ने और जिनेवा में स्विट्‍जरलैंड के साथ 1-1 की बराबरी ने उसकी कमजोरी पर मुहर लगा दी है।

कोच लिप्पी का ड्रीम : चार बार की विश्व चैम्पियन और दो बार की उपविजेता (1970, 94) इटली पर दक्षिण अफ्रीका में अपने खिताब की रक्षा करने का सबसे ज्यादा दवाब होगा। 'मैन टू मैन' मार्किंग के साथ आश्चर्यजनक रूप से आक्रमण मूव बनाने की खूबी इटली के पास है। अनुभवी मोर्सेलो लिप्पी की कोचिंग पूरी दुनिया में विख्यात है।

गियान लुका, फेबियो केनवरो, गियानलुजी बफो, जम्ब्रोटा, डेनियल डी रोसी और एंड्रिया पिरलो जैसे खिलाड़ियों के साथ इटली इस विश्वकप में अपनी चुनौती पेश करने जा रही है। इटली पिछले विश्व कप में तमाम उलटफेर करते हुए सबसे बड़े दावेदार ब्राजील को पीछे छोड़ते हुए आश्चर्यजनक रूप से चैम्पियन बना था और इसी इतिहास को दोहराने का सपना कोच लिप्पी अपने दिल में सँजोए हुए हैं।

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यूँ देखा जाए तो इटली और विश्व कप में 12 का संयोग गजब का है। वह हर 12 साल में प्रत्येक विश्व कप के सेमीफाइनल या फाइनल तक जरूर पहुँचा है। 1994 में वह अमेरिका में जिस पेनल्टी शूटआउट में ब्राजील से फाइनल हारा था, उसके ठीक 12 साल बाद वह 2006 के जर्मनी विश्व कप में पेनल्टी शूटआउट के बूते पर ही फ्रांस को हराकर विश्व विजेता बना था।

इटली की टीम यूरोपीय टीमों में भले ही ज्यादा ख्याति या प्रचार नहीं पा सकी लेकिन हकीकत तो ये है कि ब्राजील (पाँच बार विश्व विजेता) के बाद विश्व कप जीतने के मामले में वह दूसरी पायदान (चार बार) पर है। विश्व कप में उसका गौरवशाली इतिहास रहा है और उसने 1934, 1938, 1982 और 2006 में चमचमाती विश्वकप ट्रॉफी को चूमा।

पिछले विश्व कप (2006) में इटली की टीम पूरे शबाब पर थी। तब लगातार 24 मैच जीतना आसान काम नहीं था और जब आप सतत रूप से 2 साल से जीतते चले आ रहे हों तो विश्वकप जीतने के लिए सात जीत हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं थी।

2006 के विश्व कप में इटली को कोई भी चैम्पियन के रूप में नहीं देख रहा था। हर तरफ ब्राजील, जर्मनी, इंग्लैंड या अर्जेन्टीना के ही चर्चे थे। चैम्पियन बनने से पहले इटली की टीम में एक भी सितारा नहीं था लेकिन विश्व विजेता बनने के बाद उसे टोटी, टोनी, कैवेरानो, दातूसो और मातेराजी जैसे स्टार मिले, जिन्हें यूरोप के क्लबों में मुँहमाँगी कीमत मिली।

पिछले विश्व कप फाइनल में इटली के सामने स्टार टीम फ्रांस थी। इस फाइनल में जो मुख्य अंतर साबित हुई वह सिर्फ गति ही थी। फ्रांस के बूढ़े खिलाड़ी थके हुए कदमों से इटली के उफनते जोश और ताकतवर तेज कदमों का मुकाबला नहीं कर सके थे।

2006 का फाइनल भले ही पेनल्टी शूटआउट में फैसला दे सका लेकिन इस मैच में एक दुर्घटना ऐसी घटी थी, जिसने फ्रांस के सुपर स्टार सितारा कप्तान जिनेडिन जिडान को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार कर दिया। बौखलाए जिडान ने जब निहत्थे मातेराजी पर सांड जैसी भिट्‍टी मारी तो उससे समझ में आ गया था कि फ्रांस पेनल्टी शूटआउट से पहले ही हार स्वीकार कर चुका था। इस भिट्‍टी कांड ने जिडान की ख्याति पर जो दाग लगाया, वह आज तक किसी भी केमिकल से नहीं धुल पाया है।

2006 के विश्व कप में इटली शुरुआत से एक चैम्पियन की तरह खेली थी और अंत में सुंदरता की ग्रीक देवी वीनस ने उसे जब अपना आशीर्वाद दिया तो गहरी नीली जर्सी वाले इटेलियन 'सोने की धूल' से सन चुके थे और उनके माथे से निकलकर पूरे जिस्म पर फैला पसीना उसी स्वर्णिम धूल को जिस्म से चिपकाकर उन्हें साक्षात स्वर्णिम पुरुष का दर्जा दे चुका था। चैम्पियन ऐसे ही होते हैं।

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1994 में जो टीम ब्राजील से शूटआउट में खिताब गँवा बैठी थी, वही टीम 12 साल पाँच पेनल्टी भुनाकर चौथी बार विश्व कप को अपने घर ले गई। तब रोम जल नहीं रहा था और न ही नीरो वहाँ बंसी बजा रहा था। एक पल के लिए तो ऐसा लगता था महान रोमन साम्राज्य कुछ लम्हों के लिए फिर से जीवित हो उठा था और जूलियस सीजर का दरबार वहीं लगा था, जहाँ आज वेटिकन सिटी है।

ट्रॉफी का भार वीनस के हाथों में : हिन्दू पुराणों के मुताबिक पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है। यूनानी मानते हैं कि यही बोझ उनके देवता एटलस ने उठा रखा है। हिंदू पुराणों के अनुसार ग्रहों को सोम से लेकर शनि तक के नाम दिए हैं तो यूनानियों ने प्रत्येक ग्रह का नाम अपने देवताओं के नाम पर रखा है। जैसे कि मर्करी, मार्स, ज्यूपीटर, प्लूटो, सेटर्न, युरेनस, नेप्चून। इसमें 'वीनस' भी शामिल है जो कि इकलौता ऐसा ग्रह है जिसका नाम सौंदर्य की देवी के नाम पर रखा गया है।

वीनस को न सिर्फ ग्रीस में बल्कि दुनिया में सौंदर्य, प्रेम और बुद्धि की देवी माना जाता है। यदि आप 'फीफा ट्रॉफी' को गौर से देखें तो इस ट्रॉफी को वीनस ने ही अपने दोनों हाथों में उठा रखा है। ट्रॉफी एक गोला है, जिसमें पाँचों महाद्वीपों के मानचित्र बने हुए हैं।

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