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ईको टूरिज्म के लिए छह स्थान चयनित

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ईको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु ग्वालियर के आसपास फैले छ: स्थलों को चिह्नित किया गया। जिसमें तिघरा, ककेटो तथा हरसी जलाशय, तानसेन की जन्मस्थली बेंहट, आगरा-मुंबई राजमार्ग पर स्थित मद्दाखोह और सुल्तानगढ़ के पार्वती नदी पर बने झरने को इनमें सम्मिलित किया गया है।

शहर के 1932 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला तिघरा जलाशय जो प्रवासी पक्षियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, को बढ़ाकर नौकायन की सुविधा के जरिए बेहतर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। मोहना से पांच किमी की दूरी पर स्थित ककेटो तथा शहर से 65 किमी दूर हरसी जलाशय भी तिघरा की तरह नौका विहार तथा प्राकृतिक सौंदर्य के ईको पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किए जा सकते हैं।

संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेंहट जो वन क्षेत्र में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है तथा सुलभ सड़क मार्ग पर स्थित है। इसी प्रकार मोहना से 2 किमी की दूरी पर स्थित सुल्तानगढ़ जो पार्वती नदी पर 500 फुट की ऊंचाई से गिरते जल के कारण बने झरने के लिए प्रसिद्ध है। इको टूरिज्म हेतु विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया है।

इसी प्रकार आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटीगांव से पंद्रह किमी की दूरी पर सुरम्य वन क्षेत्र में स्थित मद्दाखोह जो शांति के साथ हरितिमा के लिए प्रसिद्ध है। योग ध्यान तथा एकाग्र चिंतन हेतु महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि सभी जिले के वन क्षेत्रों में ईको पर्यटन के माध्यम से प्रकृति संवर्धन हेतु ईको पर्यटन केंद्रों में पीपीपी मॉडल पर विकास हेतु प्रदेश सरकार के वन विभाग द्वारा व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इसके परिपालन में जिले के छ: प्राकृतिक केंद्रों को ईको टूरिज्म केंद्रों के रूप में विकसित करने हेतु चिह्नित किया गया है।

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