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घने पेड़ों के बदले थोड़ी सी हरियाली

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इंदौर , मंगलवार, 31 जनवरी 2012 (12:53 IST)
विकास के नाम शहर में हजारों पेड़ों की बलि ली गई है। इसके बाद कई प्रमुख मार्ग चौड़े होकर चमचमाने तो लगे है लेकिन उनके सिर से हरियाली का साया उठ चुका है। सड़कों के किनारों पर न पंछियों का कलवर है और न ही फल-फुलों की महक बिखरती हवाएँ...। घने पेड़ों के बदले शहर के मार्गों पर थोड़ी सी हरियाली छिड़क दी गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे प्रयासों से इंदौर हरा भरा बन पाएगा। शहर में 40 किलोमीटर सड़क ऐसी है जिसके मध्य डिवाइडर है और उनमें पौधे व छोटे पेड़ लगाए जा सकते है। निगम ने बड़े, मध्यम क्रम के वृक्ष और पौधों से इन डिवाइडरों को सजाने की कोशिश की जा रही है। अधिकांश डिवाइडरों पर पेड़ लगाए भी जा चुके है। 7 मार्गों पर जनभागीदारी से हरियाली कायम रखने की कोशिश की जा रही है। कुछ संस्थान हरियाली बढ़ाने के लिए आगे आए है।


ऐसी हरियाली सड़कों पर...

मार्गों पर 20 फुट से अधिक लंबाई के पाम ट्री, आकाश नीम, पिलखन, स्पेथोडिया, फायकस वृक्ष लगाए गए है। रणजीत हनुमान मंदिर, शांति पथ, रेसकोर्स रोड पर पाम ट्री लगाए गए है। इसके अलावा 10 फुट की ऊंचाई तक के पौधों में मधुकामिनी, केसिया ग्लूका, केसिरो टोरा, केसिया अलेटा लगाए गए है। छोटे पौधों में कनेर, चांदनी, मधुकामिनी, दूधी मोगरा, थूजा शामिल है।


अभी तक 12 लाख खर्च

-नगर निगम ने मार्गों के सौंदर्यीकरण पर अभी तक 12 लाख रुपए खर्च किए है।


-10 हजार बड़े वृक्ष लगाए गए है।

- मध्य क्रम के वृक्षों की संख्या 20 हजार है।

- क्यारी के लिए करीब 15 हजार छोटे पौधे लगाए गए है।


पौधों की सुरक्षा जरूरी

जिन मार्गों पर छोटे वृक्ष व पौधे लगाए गए है, उनकी सुरक्षा जरूरी है। ऊंचाई वाले पेड़ों में तो नई कोंपले फूटने लगी है लेकिन छोटे पौधे मवेशियों का शिकार हो चुके है। पौधों की सुरक्षा के लिए यदि ट्री गार्ड लगाए जाते है तो वे भी चोरी चले जाते है।


यह होना चाहिए

बाण्ड सड़क निर्माण के समय भी बड़ी संख्या में वृक्ष काटे गए थे, लेकिन तब सड़कों के किनारों पर न केवल पौधे लगाए गए थे, बल्कि उनकी सुरक्षा भी की गई। अब वे छायादार वृक्ष बन चुके है। मोती तबेला रोड, एमजी रोड, मालवा मिल रोड सहित कई मार्गों के किनारे हरियाली कायम होने लगी है। फीडर मार्गों के डिवाइडरों के साथ किनारों पर भी वृक्ष लगाए जाना चाहिए।


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