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विवि मार्कशीट कांड

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इंदौर , बुधवार, 7 मार्च 2012 (12:50 IST)
विवि की कोरी अंकसूची बाजार में मिलने की खबर के बाद विवि अपनी साख बचाने में जुट गया है। विवि प्रशासन ने मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है। कुलपति ने मामले में जांच भी बैठा दी है। इस बीच विवि के लोग मामले की कड़ी दिवंगत प्रोफेसर डॉ.एके रमानी से जोड़ रहे हैं। हालांकि इस तर्क से विवि की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। प्रारंभिक जांच के बाद विवि के अधिकारियों ने मान लिया है कि कोरी अंकसूचियां विवि के कम्प्यूटर विभाग से बाहर निकली है। आरंभिक तर्क भी दे दिया गया है कि 2010 में डॉ.एके रमानी ने कोरी अंकसूचियां निकलाई थीं। विवि का कहना है कि विवि में चल रहे ऑटोमेशन प्रोजेक्ट जिसे विप्रो कंपनी बना रही थी उसके लिए अंकसूचियां निकलाई गई थी। डॉ.रमानी द्वारा निकलाई गई कोरी अंकसूचियों की संख्या 300 बताई गई है। हालांकि इस दलील से उत्तर कम और प्रश्न ज्यादा पैदा हो रहे हैं। विवि के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि ऑटोमेशन प्रोजेक्ट में कोरी अंकसूचियों का क्या काम था? इन अंकसूचियों का रिकॉर्ड कहां है? क्या विप्रो कंपनी के पास भी कोरी अंकसूचियों का रिकॉर्ड है? डॉ.रमानी ने वह अंकसूचियां किसकी जिम्मेदारी में रखवाई थी? उनमें से कितनी अंकसूचियों का उपयोग हुआ और किस तरह हुआ? यह भी सबसे बड़ा सवाल है कि ऑटोमेशन प्रोजेक्ट में ऐसी क्या जरुरत आई कि सैकड़ों अंकसूचियां आवंटित करवाना पड़ी?


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