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थम गई विकास की गति

हमें फॉलो करें थम गई विकास की गति
खंडवा , गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012 (00:41 IST)
नगर निगम की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति एवं पुख्ता कार्ययोजनाओं के अभाव में विकास की रफ्तार ठप पड़ी है। 6 माह में निगम से कोई कार्यादेश जारी नहीं होने से शहर में कहीं कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा है। निगम की कार्यप्रणाली से खफा होकर सभी ठेकेदारों ने काम से हाथ खींच लिए हैं। बुधवार को शहर के विकास कार्यों की समीक्षा के लिए मंत्री एवं महापौर बैठक लेने वाले थे, लेकिन यह टलने से रही-सही आस भी धूमिल हो गई।


मूलभूत सुविधाओं एवं विकास को तरसते शहरवासियों को मुसीबतों से निजात के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। शहर के 50 वार्डों में विकास की गति थमी हुई है। स्थिति यह है कि बड़े कार्य तो दूर निगमायुक्त के अधिकार क्षेत्र के कार्यों के लिए भी कोई कार्यादेश पिछले 3 माह में जारी नहीं हुए है। पूर्व में जारी हुए कार्यादेशों पर भी काम शुरू नहीं हो सका है। इनकी मुख्य वजह ठेकेदारों का निगम से दूरी बनाना और समय पर भुगतान नहीं मिलने के साथ ही अघोषित शर्तें और अपेक्षाएँ हैं।


कार्यादेश के अभाव में लौटाई राशि

शहर की पिछड़ी बस्तियों में आदिम जाति कल्याण विभाग से प्राप्त राशि का भी समय रहते निगम लाभ उठाने से महरूम रहा। बताया जाता है कि निगम को इस मद में 1 करोड़ 21 लाख रु. की राशि मिली थी, लेकिन कार्ययोजना के अभाव में नगर निगम पूरी राशि का उपयोग नहीं कर सका और पैसा लौटाना पड़ा। इसी तरह मध्याह्न भोजन के लिए शालाओं में किचन शेड के लिए 75 लाख रुपए की राशि भी लेप्स हो गई।


फाइलों में उलझे प्रोजेक्ट

शहर एवं नगर निगम के इतिहास में यह पहला अवसर है जब निविदा विज्ञप्ति (टेंडर) जारी होने के बाद भी कोई ठेकेदार टेंडर डालने को तैयार नहीं है। शहर की ज्वलंत समस्याओं में शुमार रामेश्वर रोड की बदहाली नगर निगम के लिए चुनौती साबित हो रही है। पार्षदों में आक्रोश को देखते हुए निगमायुक्त ने 2 माह में इस मार्ग को डामरीकृत करने का वादा किया था। इस कड़ी में 30 दिसंबर को निविदा विज्ञप्ति भी जारी की गई, लेकिन निविदा फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 16 जनवरी तक एक भी टेंडर (फार्म) जमा नहीं हुआ।


जानकारों का कहना है कि ठेकेदारों से व्यक्तिगत संपर्क करने के बाद भी कोई यह काम हाथ में लेने को तैयार नहीं है। इस कार्य के लिए बाहर की एक कंपनी ने टेंडर फार्म खरीद तो लिया, लेकिन वह भी टेंडर डालने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।


वार्डों में समस्याएँ

शहर में विकास कार्यों की गति थमने से पार्षद भी खफा हैं। कांग्रेसी पार्षद एवं नेता प्रतिपक्ष रमेश सुनगत ने बताया कि निगम आयुक्त को 2 लाख रुपए तक के कार्यादेश जारी करने के अधिकार हैं, लेकिन वे अपने अधिकार और कर्तव्य दोनों भूल चुके हैं।


अमला भी नाखुश

समय पर वेतन नहीं मिलने की दिक्कतों का सामना कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि शासन एवं परिषद की ओर से घोषित लाभ भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह बताकर नहीं दिया जा रहा है। 15 साल से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 1 हजार रुपए और 10 साल वालों को 500 रुपए का लाभ देने की घोषणा भी लंबित है।


चरमराने लगी व्यवस्थाएँ

आम व्यक्ति को राहत देने में भी नगर निगम फिसड्डी साबित हो रही है। इसे लेकर शहरवासी भी निगम को कोसने लगे हैं। शहर में मूलभूत सुविधाएँ चरमराने से लोग परेशान हैं। जानकारों का कहना है कि खंडवा शहर में विकास यात्रा के दौरान पार्टीजनों को लोगों के असंतोष का सामना करना पड़ेगा।


बैठक भी स्थगित

शहर की समस्याओं एवं प्रस्तावित योजनाओं की समीक्षा के लिए बुधवार को आजाक मंत्री विजय शाह एवं महापौर भावना शाह की उपस्थिति में बैठक रखी गई थी। इस बैठक से विकास को नई दिशा मिलने की संभावना थी, लेकिन ऐनवक्त पर बैठक स्थगित हो गई।




हरसंभव प्रयास जारी

नगर निगम आयुक्त दिलीप कापसे ने बताया कि शहर को समस्याओं से निजात दिलवाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। विकास कार्यों को गति मिले, इसके लिए ठेकेदारों को लंबित बिलों का भुगतान भी किया गया है। कतिपय ठेकेदार निगम पर दबाव बनाकर अपनी मर्जी चलाना चाहते हैं। कार्यों के लिए पुनः निविदाएँ जारी की जाएँगी। निगम के पास आय के सीमित स्रोत हैं। ऐसे में अधिकांश राशि बिजली बिल और वेतन पर खर्च होती है। रामेश्वर रोड का निर्माण हमारी प्राथमिकता है, शीघ्र ही पुनः निविदा आमंत्रित की जाएगी। -निप्र


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