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'आपके भैया हमारी पकड़ में हैं'

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खरगोन , रविवार, 8 जनवरी 2012 (00:49 IST)
'एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी उसके बाद मैं अपने आपकी भी नहीं सुनता'/ हैलो कौन बोल रहा है? मैं राहुल बोल रहा हूँ'/आपके भैया हमारी पकड़ में हैं, इनके पास गाड़ी के कागज नहीं हैं...' मोबाइल की डायलर टोन के जरिए कई लोग अपनी अलग पहचान बना रहा हैं। रोचक यह कि इससे उपयोगकर्ता की शख्सियत और व्यक्तित्व का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।


डायलर टोन्स के शौकीनों का बड़ा वर्ग है। क्या हम्माल, क्या हवलदार, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग...और छात्रा-छात्राओं के जुनून का क्या कहना! इसे देखते हुए मोबाइल कंपनियाँ भी नए-नए प्रयोग किए जा रही हैं। इन दिनों डायलर टोन में नए-नए गीत खूब रिझा रहे हैं। जया धुमाल का कहना है कि वे हर माह मधुर गीतों का चयन करती हैं। गीत सुनना उन्हें पसंद है और चाहती हैं कि उनके परिजन/परिचित भी पसंदीदा गीत सुनें। कई बार वे कुछ देर बाद मोबाइल पर बात शुरू करती है ताकि उनके मित्र गीत का पूरा मुखड़ा सुन सकें। विकास जाधम का कहना है कि वे राजकपूर पर फिल्माए गीत पसंद करते हैं और दोस्तों को भी वही गीत डायलर टोन से सुनाते हैं। अब तो उनकी पहचान राजकपूर के रूप में बन गई है।


आत्मीयता बढ़ाने का माध्यम

कई अधिकारियों ने भी भजन, आरती व मधुर गीतों के बोलों को डायलर टोन बना रखा है। उनका कहना है कि परिचित से आत्मीयता बढ़ाने का यह अच्छा माध्यम है। उपभोक्ता गणपति परसाई का कहना है कि डायलर टोन में उन्होंने डॉयलॉग रिकार्ड करवा रखा है। डॉयलॉग सुनकर परिचित खुशमिजाज अंदाज में बात करते हैं। रिटेलर अनिल मिश्रा का कहना है कि न केवल फिल्मी गीत व डॉयलॉग बल्कि निमाड़ी बोली से जुड़े लोकगीत भी डायलर टोन में आ चुके हैं।-निप्र


शख्सियत का शुरुआती अंदाजा

डायलर टोन व्यक्ति की निजी पसंद का हिस्सा होता है और वह व्यक्ति के स्वभाव का प्रतिबिंब होता है। डायलर टोन सुनकर किसी भी व्यक्ति की पसंद-नापसंद का शुरुआती अंदाजा लगाया जा सकता है। कई बार डायलर टोन रिश्तों को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है। -डॉ. श्याम नीमा, मनोवैज्ञानिक, खरगोन


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