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मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम होमगार्ड जवान

हमें फॉलो करें मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम होमगार्ड जवान
मंदसौर , सोमवार, 12 दिसंबर 2011 (22:54 IST)
होमगार्ड की स्थापना के 65 साल बाद भी इसके जवान और अधिकारी मूलभूत सुविधाओं से मोहताज हैं। सरकारी नौकरी कहलाने के बावजूद वर्ष के दो माह बेरोजगार की तरह गुजारने पड़ते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद शासन स्तर से कोई सुविधा नहीं मिलती। यहांॅ तक कि जिले में एक थाने से दूसरे थाने पर जाने का खर्चा भी इन्हें खुद ही उठाना पड़ता है।


सोमवार को होमगार्ड का 65वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। जिले में होमगार्ड की एक कंपनी कार्यरत है। इसमें कुल 165 जवान हैं। इनमें 33 मेजर, हवलदार, वालेंटियर, प्लाटून कमांडर, नायक, लॉन्स नायक के पद हैं। सभी जवानों का वेतनमान 4500-5000 रु. प्रतिमाह है।


जिले में पुलिस अमले की कमी सालों से है। इस कारण लगभग सभी थानों पर होमगार्ड की तैनाती की गई है। कानून-व्यवस्था के तहत नगर सैनिकों को पुलिस जवानों के कार्य करना पड़ रहे हैं। जिले के गरोठ, भानपुरा, सुवासरा, पिपलियामंडी, मल्हारगढ़, शामगढ़, अफजलपुर व सीतामऊ थाने में होमगार्ड जवान तैनात हैं। शहर की यातायात व्यवस्था में भी होमगार्ड की मदद ली जाती है।


पेंशन भी नहीं मिलती

होमगार्ड की सबसे बड़ी परेशानी है कि उन्हें जीवन भर कार्य करने के दौरान जिले में एक-थाने से दूसरे थाने पर भेजे जाने का टीए-डीए भी नहीं मिलता है। 60 वर्ष की आयु के बाद जब होमगार्ड की सेवानिवृत्ति होती है तब भी उन्हें पेंशन देने का कोई प्रावधान नहीं है। स्थिति यह है कि कई बार बाढ़ व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय होमगार्ड जान जोखिम में डालकर सेवा कार्य करते हैं। इनकी सुविधाओं को लेकर कोई कार्य नहीं करता है।


दो माह बेरोजगार

विभागीय सूत्रों के अनुसार ड्यूटी रोटेशन के मुताबिक होमगार्ड से वर्ष में केवल 10 माह ही कार्य कराया जाता है। शेष माह वे बेरोजगार रहते हैं। इस अवधि में उन्हें वेतनमान भी नहीं दिया जाता है। यानी सरकारी नौकरी में भी बेरोजगार वाली स्थिति है। होमगार्ड को अब भी अपने अस्तित्व के लिए अथक प्रयास करना पड़ रहे हैं। शासन स्तर से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है।-निप्र


शासन करेगा निर्णय

- होमगार्ड की सुविधाओं को बढ़ाने की जिम्मेदारी शासन स्तर से तय होती है। इनका वेतनमान बढ़ाने की प्रक्रिया जारी है। शासन स्तर से निर्णय होने पर यह सुविधा जल्द दी जाएगी।-केएस परिहार, डिविजन कमांडेड, उज्जैन संभाग


- सुविधाएँ देने का मामला शासन स्तर से तय होता है। हम तो सेवा कर ही रहे हैं।-आरडी सिंह, कंपनी कमांडर, जिला होमगार्ड कार्यालय


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