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विकास योजना निलंबन का अधिकार अब शासन के पास

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रतलाम , रविवार, 8 जनवरी 2012 (00:45 IST)
किसी नगर की विकास योजना के प्रकाशन के बाद उससे प्रभावित व्यक्ति के आवेदन पर नगर एवं ग्राम निवेश संचालनालय सुनवाई कर उसे निलंबित करने का अधिकार रखता था, किन्तु अब यह अधिकार राज्य सरकार को रहेगा। इस संबंध में 38 साल बाद विभाग की 12 धाराओं में परिवर्तन किया गया है।


राज्यपाल की मंजूरी के बाद मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधेयक गत गुरुवार से प्रदेश में लागू हो गया है। मूल कानून 1973 में बना था तथा सरकार ने नगरीकरण की प्रक्रिया में अत्यधिक प्रगति और विकास की जनअपेक्षाओं को देखते हुए 38 वर्षों पश्चात इस कानून में परिवर्तन किया है। उल्लेखनीय है कि गत 25 नवंबर को इस संशोधन विधेयक को विधानसभा के पटल पर आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया की अनुपस्थिति में पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई ने प्रस्तुत किया था। यह विधेयक गत 2 दिसंबर को बहुमत से पारित किया गया। इसके बाद राज्यपाल रामनरेश यादव द्वारा विधेयक पर मंजूरी की मुहर लगा दी गई।


उपबंध हुआ विलोपित

नए संशोधन में कहा गया है कि मूल अधिनियम की धारा 24-क में आवासीय भवनों में अतिरिक्त तल (तीन तल के पश्चात) के निर्माण के उपबंध दिए गए हैं। ये उपबंध धारा 19 में प्रकाशित विकास योजना की भावना के विरुद्ध है और इनके दुरुपयोग की संभावना रहती है। इसलिए नए संशोधन में इस उपबंध को विलोपित कर दिया गया है।


उपयोग की प्रक्रिया तय

कृषि भूमि के उपयोग को लेकर पहली बार इस कानूनी संशोधन में व्यवस्थित प्रक्रिया तय की गई है। इसमें भू-उपयोग की प्रत्येक श्रेणी के लिए न्यूनतम आकार तय किया जाएगा। इसके लिए भूमि उपयोग की योजना में बदलाव किए जाने पर भूभाटक और शुल्क का निर्धारण किया जाएगा, जो संबंधित भूमि के बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। ठीक इसी प्रकार संशोधित योजना में उन मामलों की श्रेणी भी तय की जाएगी, जिनमें भूभाटक नहीं लिया जाएगा। राज्य सरकार को यह अधिकार होगा कि वह तय शर्तों की छानबीन कर सके।


बदल सकेंगे भूमि का उपयोग

नए कानूनी बदलाव को थो़ड़ा उदार भी किया गया है। पूर्व में एक निश्चित उद्देश्य को लेकर भूमि उपयोग के लिए दी गई अनुमति में संशोधन नहीं किया जा सकता था, किन्तु नए नियमों के मुताबिक पूर्व में दी गई भूमि के उपयोग की अनुमति में निर्माण कार्य के दौरान ही नए संशोधन प्रस्तुत किए जा सकेंगे। भूमि उपयोग में बदलाव की अनुमति संबंधी आवेदन पूर्व में दी गई अनुमति के समाप्त होने वाले 6 महीनों की समय सीमा के बाद ही प्राप्त किए जाएँगे। नए संशोधन में प्रावधान किया गया है कि राज्य शासन स्व-प्रेरणा अथवा आवदेन किए जाने पर किसी स्कीम के लिए किसी भी समय विकास योजना में उन भूमियों को जो 5 हेक्टेयर से कम नहीं हो अधिगृहित कर सकेगी। पहले प्रावधान था कि किसी कॉलोनी में बिना अधिकृत मंजूरी के विकास कार्य हुए हो और इसे पाँच वर्ष पूरे हो गए हो, तो ऐसा अनाधिकृत विकास नियमानुसार मान्य हो जाता था। नए नियमों के अनुसार अवैध कॉलोनी में पाँच वर्ष के पूर्व सरकार किसी प्रकार की विकास कार्रवाई नहीं करेगी और अर्द्ध सार्वजनिक एवं आवासीय भूमि के ले आउट यानी अभिन्यासों के प्लाटों का विलयन हो सकेगा, लेकिन जो भूमि आवासीय है वहाँ आर्थिक रूप से कमजोर तथा निम्न वर्गों के लिए छो़ड़ी गई भूमि का विलयन नहीं किया जा सकेगा। विलयन वाले प्लाटों का आकार 500 वर्गमीटर से अधिक नहीं होगा। ताजा संशोधन में प्राधिकरणों और भू-स्वामी के बीच होने वाले अनुबंधों को पंजीयन संबंधी फीस और स्टाम्प ड्यूटी से छूट दी गई है।


सभी को होगा लाभ

नए कानून से समाज के सर्वहारा वर्ग को लाभ होगा। 38 वर्ष पश्चात विभाग के पुराने कानूनों में संशोधन किया गया है। -केसी गुप्ता, आयुक्त, नगर एवं ग्राम निवेश भोपाल


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