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समस्याएँ बरकरार, यातायात बेहाल

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रतलाम , शनिवार, 7 जनवरी 2012 (00:42 IST)
सड़क सुरक्षा सप्ताह महज रस्म अदायगी बनकर रह गया है। पूरे सप्ताह यातायात पुलिस ने लोगों को नियमों के प्रति जागरूक करने के कार्यक्रम किए,लेकिन यातायात में आ रही बाधाएँ को दूर करने के ठोस प्रयास नहीं किए। बाजारों व मुख्य मार्गों पर सप्ताह के दौरान हर जगह वाहनों की रेलमपेल और जाम के नजारे दिखाई दिए। बाजारों में पार्किंग स्थल नहीं होना व अतिक्रमण सबसे बड़े बाधक हैं। सड़कों पर सब्जी मंडियाँ खुलेआम लग रही हैं। वाहन अँधाधुंध गति से दौड़ाए जा रहे हैं, मगर कोई देखने वाला नहीं है।


हर दिन सड़क दुर्घटनाएँ हो रही हैं, लेकिन आम नागरिक भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं कर रहे हैं। सड़कों पर जहाँ-तहाँ वाहन खड़े करना, दुकानों के बाहर सामान रखना और वाहन तेज गति से चलाना ऐसी समस्याएंँ हैं, जो नागरिक ही दूर कर सकते हैं, लेकिन वे इसके प्रयास नहीं करते। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान इस बार भी आम लोगों ने यही सवाल उठाए कि यातायात पुलिस हमेशा की तरह केवल चालान बनाने, नियमों का प्रचार-प्रसार करने आदि में ही व्यस्त रही। लोगों का कहना है कि बेहतर यातायात के लिए अतिक्रमण हटाने, सड़कें दुरुस्त करने और बाजारों में पार्किंग स्थलों का निर्माण करने की सख्त जरूरत है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार विभाग कुछ नहीं कर रहे हैं। यातायात पुलिस का कहना है कि उसका काम बेहतर व्यवस्था देना है और इस दिशा में प्रयास जारी है। आम लोगों की जिम्मेदारियांँ हैं कि वे भी सहयोग करें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।


सप्ताह मनाने के लिए राशि नहीं

यातायात सप्ताह मनाने के लिए विभाग को सरकार अलग से कोई राशि नहीं देती। यातायात पुलिस सामाजिक संगठनों और निजी कंपनियों के माध्यम से प्रचार-प्रसार सामग्री व अन्य गतिविधियों का संचालन करती है।


यातायात थाने में स्टाफ की कमी

यातायात पुलिस थाना स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। थाने पर एक टीआई, 2 सब इंस्पेक्टर, 13 प्रधान आरक्षक और 58 आरक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन 2 सब इंस्पेक्टर और 26 आरक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त हैं। शहर के क्षेत्रफल व चौराहों के मान से 50 यातायातकर्मियों की जरूरत है। यातायात पुलिस ने मुख्यालय को बल वृद्धि का प्रस्ताव भेजा है। मार्च तक प्रस्ताव मंजूर होने की संभावना है।


ट्रैफिक पाइंट रहते हैं खाली

शहर में 20 से अधिक ट्रैफिक पाइंट है। इनमें से आधे पाइंट जवानों की कमी के कारण खाली रहते हैं। मुख्य रूप से दो बत्ती चौराहा, लोकेंद्र टॉकीज चौराहा, सैलाना बस स्टैंड, राम मंदिर, घास बाजार, शहर सराय, कॉलेज तिराहा, दिलबहार चौराहा, कॉन्वेंट तिराहा, छत्री पुल, कोर्ट चौराहा, घास बाजार, गणेश देवरी चौराहा, बाजना बस स्टैंड, चाँदनी चौक, चौमुखी पुल, सुभाषनगर चौराहा, डालूमोदी बाजार, महू रोड फव्वारा चौक, तोपखाना चौराहा, हरदेवलाला पीपली चौराहा, आबकारी चौराहा आदि जगहों पर यातायात का दबाव रहता है। इनमें से कई पाइंटों पर जवान तैनात नहीं रहते।


बंद पड़े हैं ट्रैफिक सिंग्नल

30 सालों में गणेश देवरी, नाहरपुरा, कॉलेज तिराहा, लोकेंद्र टॉकीज चौराहा, दो बत्ती और सैलाना बस स्टैंड चौराहे पर ट्रैफिक सिंग्लन लगाए गए। धीरे-धीरे सिंग्नल रखरखाव के अभाव में बंद होते चले गए। पाँच-छह साल से तो एक भी सिंग्नल चालू नहीं हैं। दो सालों में सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में कई बार सिंग्नल पुनः लगाने के निर्णय हुए, लेकिन नगर निगम प्रशासन सिंग्नल नहीं लगा पाया।


यातायात सुधार के लिए मिले 15 लाख रु.

जिले में सड़क सुरक्षा और यातायात सुधार के लिए वर्ष 2011-12 में शासन ने 15 लाख रु. स्वीकृत किए हैं। पुलिस विभाग ने स्वीकृत राशि से स्टॉपर, बैरियर, रोड रिफ्टेक्टर बोर्ड, सैफ्टी जैकेट, सैफ्टी बार पाइंट और यातायात सुधार के लिए जरूरी वस्तुओं की खरीदी के लिए लघु उद्योग निगम को ऑर्डर दे दिए हैं।


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