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हाईकमान की सख्त हिदायत के बाद बदले जायसवाल के सुर

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012 (07:52 IST)
अपने नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बड़बोले पन से आजिज कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को उनके बयान के लिए उन्हें कड़ाई से आड़े हाथों लिया। पार्टी हाईकमान की सख्त हिदायत के बाद जायसवाल को फौरन अपने बयान पर सफाई देते हुए यह कहना पड़ा कि टीवी चैनल ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है।


सुबह कानपुर में मतदान के बाद टीवी चैनलों के सवालों का जवाब देते हुए जैसे ही श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि अगर कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प हो सकता है, वैसे ही टीवी चैनलों पर विरोधी दलों के नेताओं के हमलावर बयान शुरु हो गए। भाजपा के शिखर नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अध्यक्ष नितिन गडकरी, वरिष्ठ नेता उमा भारती, सपा नेता अखिलेश यादव और बसपा नेता सुधींद्र भदौरिया ने कांग्रेस और जायसवाल को आड़े हाथों लेते हुए इसे कांग्रेस की हताशा और संविधान विरोधी भावना का संकेत बताय।


जायसवाल तो अपना बयान देकर चुनाव में व्यस्त हो गए, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व में हलचल मच गई । कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक प्रबंधकों को इस बयान के संभावित सियासी नुकसान का अनुमान हो गया । सूत्रों के मुताबिक दिल्ली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद भरोसेमंद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने जायसवाल को फोन करके पहले उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा विवादास्पद बयान क्यों दिया । जायसवाल ने सफाई दी कि उन्होंने यह नहीं कहा कि कांग्रेस को बहुमत न मिलने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा बल्कि यह कहा था कि अगर किसी को बहुमत नहीं मिला और कोई सरकार नहीं बनी तो संवैधानिक स्थिति के मुताबिक राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प है।


सूत्रों के मुताबिक दिल्ली वाले वरिष्ठ नेता ने पहले तो उन्हें हिदायत दी कि जबर्दस्ती टी वी कैमरों के सामने कुछ भी बोलने की क्या जरूरत है। इससे बचना चाहिए। फिर जायसवाल को कहा गया कि फौरन वह अपने बयान पर सफाई दें। इसके बाद जायसवाल ने कानपुर में ही अपने घर पर टीवी चैनलों को बुलाकर कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। उनसे जब संवाददाताओं ने यह पूछा कि किसी को बहुमत नहीं मिलने पर क्या होगा तो मैने उन्हें संवैधानिक स्थिति की व्याख्या की थी ।


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