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10 साल के दीपक ने रोका रेल हादसा!

नवीन शर्मा

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नई दिल्ली , सोमवार, 16 जनवरी 2012 (11:27 IST)
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दस साल के दीपक ने रविवार सुबह एक रेल हादसा टाल दिया। मामला पूर्वी दिल्ली के मंडावली फाजलपुर रेलवे स्टेशन का है। जहां टूटी पटरी की सही समय पर जानकारी देकर इस बच्चे ने न केवल साहस बल्कि ब़ड़ी समझदारी का भी परिचय दिया। अगर दीपक लाल स्वेटर लेकर पटना से आ रही राजधानी एक्सप्रेस को दौ़ड़कर न रुकवाता तो मामला काफी गंभीर हो सकता था।


* मजदूर का बेटा है दीपक
* दुर्घटना में घायल पिता को पांच साल से है इलाज का इंतजार
* रेलवे अधिकारियों ने ऐसी कोई घटना से किया इंकार

रेलवे कर्मचारी इसे पटरी का मामूली फ्रैक्चर बता रहे हैं लेकिन चश्मदीदों के मुताबिक पटना राजधानी एक्सप्रेस के ड्राइवर ने यहां से गा़ड़ी गुजारने से मनाकर दिया था। बाद में क्लिप लगाकर ट्रेनों को ब़ड़ी एहतियात के साथ लगभग रेंगते हुए गुजारा गया। घंटों की मशक्कत के बाद पटरी की मुकम्मल मरम्मत की गई जिससे इस लाइन पर काफी समय रेलवे यातायात प्रभावित रहा।

इस स्टेशन पर ठेके पर टिकट काउंटर लेने वाले सुरेंद्र सिंह के मुताबिक पूर्वी दिल्ली के इस छोटे से रेलवे स्टेशन के समीप रहने वाले दीपक ने सुबह श्रमजीवी एक्सप्रेस गुजरते समय पटरी से चिंगारियां निकलती देखीं। दरअसल पटरी के बीच आ गए गैप के कारण उसमें से लगातार चिंगारी निकलने लगी। बकौल दीपक उसने सोचा कि शायद पटरी में आग लग रही है उसने तुरंत इसकी सूचना लाइनमैन को दी। लाइन मैन को पता था कि अब यहां से दूसरी ट्रेन निकलने वाली है। उसने अपनी लाल स्वेटर निकाली और उसे जोर-जोर से हिलाने लगा। इस बीच गा़ड़ी के सायरन से चौंक उठा यह बच्चा लाइनमैन से जैकेट लेकर उस तरफ दौ़ड़ प़ड़ा जिस तरफ से गा़ड़ी आ रही थी। ट्रेन के ड्राइवर ने बच्चे के हाथ में लाल जैकेट देखकर गा़ड़ी को रोक दिया।

उधर, रेलवे के मुख्य संपर्क अधिकारी एसके शर्मा का कहना है कि हमारे पास ऐसा सिस्टम है जिससे केबिन में बैठे रेलवे कर्मचारी को फ्रैक्चर का पता चल जाता है। इसका पता चलते ही ट्रेनों की आवाजाही रोक दी जाती है। उन्होंने इस तरह की किसी जानकारी होने से इनकार किया कि किसी बच्चे ने ब़ड़े ट्रेन हादसे को टाल दिया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि हो सकता है उस बच्चे ने रेलकर्मियों को फ्रैक्चर वाली जगह की जानकारी पहले दी हो।

अब मंडावली ही नहीं आस-पास के इलाके में इस बच्चे के साहस की सराहना हो रही है। दीपक के पिता पीओपी फैक्टरी में मजदूरी करते हैं। पांच साल पहले एक दुर्घटना में घायल होने के बाद वह पांव से ठीक से चलते में भी असमर्थ हैं। गरीबी के कारण सही इलाज न करा पाने से उम्र भर के लिए वह पांव सूजकर दोगुना हो चुका है।

दीपक का स्कूल से भी नाम कट चुका है। उसके पिता कहते हैं इसका फिर से स्कूल में दाखिला करवाऊंगा ताकि ब़ड़ा होकर इससे भी ज्यादा नाम रोशन कर सके।

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