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प्रतिभा की प्रतिभा को सलाम

ब्यूटी विद ब्रेन : प्रतिभा पाटिल

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गायत्री शर्मा

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आजादी के लगभग छह दशक बाद हमारे देश को महिला राष्ट्रपति का गौरव प्राप्त हुआ है। देश के इस सर्वोच्च व सम्माननीय पद की हकदार बनी है 'श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल'। प्रतिभा पाटिल आज देश की हर महिला के लिए आदर्श बनकर उनका प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

लोकतंत्र के इस देश में महिला राष्ट्रपति का चुना जाना लोकतंत्र की सार्थकता को दर्शाता है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारे देश में महिला राष्ट्रपति है। नारी समानता की बात करने वाले अमेरिका जैसे विकसित देश में अभी तक कोई महिला इस सम्माननीय पद पर नहीं पहुच पाई है। जबकि अमेरिका को आजाद हुए सौ वर्ष से अधिक का समय बीत गया है।

* पारिवारिक पृष्ठभूमि :-
  टेबल-टेनिस में भी इस प्रतिभावान बालिका ने विश्वविद्यालयीन स्तर पर अपने महाविद्यालय का नाम रोशन किया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सादगी की मूरत प्रतिभा ने अपने महाविद्यालय की 'ब्यूटी क्वीन' बनने का गौरव भी हासिल किया था।       
प्रतिभा पाटिल का जन्म महाराष्ट्र के जलगाँव के ग्राम नंदगाँव के पाटिल परिवार में 19 दिसंबर 1934 को हुआ था। इनके पिता नारायण राव पाटिल एक सरकारी वकील थे। प्रतिभा पाटिल के जन्म के समय देश गुलामी की बेडि़यों में जकड़ा हुआ था। हर कोई भारत की आजादी के लिए प्रयासरत था।

स्वतंत्रता संग्राम के इस परिवेश का प्रभाव नंदगाँव की इस बेटी पर पड़ना भी लाजिमी ही था। उस वक्त किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि यह नन्ही प्रतिभा एक दिन अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाकर भारत की बागडोर सम्हालेगी।

* ‍शिक्षा :-
प्रतिभा के पिता बेटी को पढ़ाने के सर्मथक थे। उनका सपना था कि उनकी बेटी पढ़-लिखकर खूब नाम कमाए। प्रतिभा की प्रारंभिक शिक्षा नगरपालिका की कन्याशाला में हुई। कक्षा पाँच में उनका दाखिला जलगाँव के अँगरेजी स्कूल में कराया गया। आज इसे आर.आर. विद्यालय के नाम से जाना जाता है।

उस समय लोग महिला शिक्षा के विरोधी थे तथा समाज में कुरीतियों का बोलबाला था। प्रतिभा के पिता ने लोगों की परवाह न करते हुए अपनी अच्छी शिक्षा ‍देकर उसके सपनों में रंग भरे।

स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात प्रतिभा ने जलगाँव के मूलजी जेठा महाविद्यालय से एमए की उपाधि हासिल की। प्रतिभा बचपन से ही अपने पिता के व्यक्तित्व से प्रभावित थी। एमए के पश्चात प्रतिभा ने मुबंई के शासकीय विधि महाविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। उसके पश्चात प्रतिभा ने वकालात को अपना पेशा बनाया और महिलाओं के अधिकारों का पुरजोर सर्मथन किया।


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* प्रतिभा के शौक :-
बचपन से ही प्रतिभा एक कुशाग्र बुद्धि वाली बालिका थी। एक कुशल वक्ता के रूप में भी प्रतिभा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।

अपने स्कूली व महाविद्यालयीन शिक्षा के दौर में प्रतिभा पाटिल ने भाषण, वाद-विवाद व अन्य खेलकूद प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार हासिल किए। शास्त्रीय संगीत में भी प्रतिभा की विशेष रूचि थी।

टेबल-टेनिस में भी इस प्रतिभावान बालिका ने विश्वविद्यालयीन स्तर पर अपने महाविद्यालय का नाम रोशन किया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सादगी की मूरत प्रतिभा ने अपने महाविद्यालय की 'ब्यूटी क्वीन' बनने का गौरव भी हासिल किया था।

  टेबल-टेनिस में भी इस प्रतिभावान बालिका ने विश्वविद्यालयीन स्तर पर अपने महाविद्यालय का नाम रोशन किया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सादगी की मूरत प्रतिभा ने अपने महाविद्यालय की 'ब्यूटी क्वीन' बनने का गौरव भी हासिल किया था।      
* आदर्श ग्रहिणी :-
प्रतिभा पाटिल ने राजनीति के साथ-साथ अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। प्रतिभा पाटिल का विवाह 7 जुलाई 1965 को डॉ. देवीसिंह रामसिंह शेखावत के साथ संपन्न हुआ। विवाह के समय देवीसिंह शेखावत अमरावती के 'महापौर' थे।

दोनों पति-पत्नि समाजसेवा के कार्य से भी जुड़े थे। प्रतिभा पाटिल का एक बेटा राजेंद्र व बेटी ज्योति है। दोनों विवाहित हैं। दादी एवं नानी के रूप में आज प्रतिभा को आठ बच्चों का प्यार मिलता है।

* राजनीति में पदार्पण व अब तक का सफर :-
सौम्यता की परिचायक प्रतिभा पाटिल ने भारतीय नारी के रूप में अपनी जो पहचान बनाई है। वह अद्वितीय है। जब वे वकालात के पेशे में थीं। तब भी वह एक भारतीय नारी की मिसाल बनी थी। अदालत में भी इस महिला के सिर का पल्लू नीचे नहीं गिरता। लेकिन पेशे पर इस शर्मो-हया का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। सत्य के समर्थन में हर बार दबंगता से इस महिला ने आवाज उठाई।

वकालात के साथ-साथ प्रतिभा ने समाज सेवा का कार्य भी जारी रखा। इस महिला में छुपी युवा नेता की प्रतिभा को पहली बार प्रमुख कांग्रेसी नेता अन्ना साहब केलकर ने पहचानकर उन्हें कांग्रेस पार्टी से जोड़ा। यहीं से प्रतिभा की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। जो अब तक बदस्तूर जारी है।

सन् 1962 में प्रतिभा को महाराष्ट्र के जलगाँव के एदलाबाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टि‍किट हासिल हुआ। उसके बाद कांग्रेस की कमजोर कड़ी मानी जाने वाली इस महिला ने 'विधायक' बनकर अपनी प्रतिभा को दिखाकर सबके मुँह बंद कर दिए। सन् 1967 से 1972 तक प्रतिभा ने प्रदेश के 'राज्यमंत्री' का पद संभालते हुए आवास, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि विभागों को बखूबी संभाला।

सन् 1972 में प्रतिभा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विजयी रह‍ी और उन्होंने 'राज्य के कैबिनेट मंत्री' का पदभार संभाला। सन् 1979 से फरवरी 1980 तक प्रतिभा ने पुन: चुनाव जीतकर विपक्ष के नेता की भूमिका अदा की। 1980 में प्रतिभा पाटिल ने लगातार पाँचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री का पद सम्भाला।

प्रतिभा के सराहनीय कार्यकाल को देखते हुए 1985 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया तथा 1986 में दो वर्ष के लिए इस प्रतिभावान महिला को राज्यसभा के उपराष्ट्रपति पद का दायित्व सौपा गया। वर्ष 2004 में राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय यह महिला राजस्थान की राज्यपाल बनी। सन् 2007 में प्रतिभा पाटिल देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति चुनी गई।

सुंदरता व सादगी की मिसाल प्रतिभा पाटिल अंतराष्ट्रीय स्तर पर आज इस देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। एक आदर्श के रूप में प्रतिभा पाटिल भारतीय महिलाओं के लिए पथप्रदर्शक की भूमिका अदा कर रही हैं। 60 वर्षों का इतिहास बदलने वाली इस प्रथम महिला राष्ट्रपति का नाम हमेशा सम्मान से लिया जाएगा।

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