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भारत की कल्पना दुनिया पर छाई

कल्पना ने छुआ आसमान

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गायत्री शर्मा

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यह अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में हमारी कामयाबी का ही परिणाम है कि आज धरती और आसमान की दूरी सिमट सी गई है और मानव चंद्रमा पर घर बनाने के सपने को मूर्त रूप देने की तैयारी कर रहा है।

हमारे वैज्ञानिकों के अनुसंधानों के परिणामस्वरूप कई अंतरिक्षयान अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्यों का पर्दाफाश कर रहे हैं। इसी श्रृंखला में हाल ही में 'चंद्रयान' ने चंद्रमा की ओर उड़ान भरी।

वर्ष 2003 में अंतरिक्ष की शोध के इसी प्रकार के 'नासा' के एक अनूठे मिशन का हिस्सा बनी थी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री 'कल्पना चावला'। जिसने दुनियाभर के लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए छह अंतरिक्षयात्रियों के साथ 'कोलंबिया' अंतरिक्षयान में उड़ान भरी थी।

अपने कार्य को सफलतापूर्वक करने के बाद जब कल्पना धरती पर पुन: कदम रखने ही वाली थीं कि वायुमंडल में 'कोलंबिया' के टुकड़े-टुकड़े हो गए और धूल और धुएँ के गुबार के साथ कल्पना भी कहीं गुम हो गई।

* अंतरिक्ष क‍ी परी का धरती पर आगमन :-
हरियाणा के एक छोटे से कस्बे 'करनाल' की एक लड़की भविष्य में अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी। इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी परंतु अपनी धुन की पक्की होनहार बालिका कल्पना ने अपने सपनों को सच कर दिखाया और आसमान को छू लिया।

1 जुलाई 1961 को बनारसीलाल चावला के घर कल्पना ने आँखे खोली व अपनी नन्ही आँखों से बड़े-बड़े सपने देखे। बचपन से ही कल्पना ने अपनी एक अलग राह चुनी और अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए कदम बढ़ाए।

सन् 1976 में करनाल के टैगोर स्कूल से कल्पना ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की। उसके बाद 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से वैमानिकी इंजीनियरिंग की डिग्री तथा 1984 में टैक्सास विश्वविद्यालय से वैमानिकी इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री हासिल की। 1988 में कल्पना ने अमेरिका के कोलारोडो विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट किया।

* मंजिल की ओर बढ़ते कदम :-
बचपन से ही ऊँची उड़ाने भरने के सपने देखने वाली कल्पना 1988 में 'नासा' से जुड़ी और अपने सपनों में हकीकत के रंग भरना शुरू कर दिया। यहाँ कल्पना ने फ्लुइड डायनामिक्स में महत्वपूर्ण अनुसंधान किया।

कल्पना की कर्मठता व लगनशीलता को देखते हुए वर्ष 1994 में नासा ने कल्पना का चयन भावी अंतरिक्षयात्री के रूप में किया तथा 1995 में कल्पना को जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र ने अंतरिक्षयात्रियों के 15 वें दल में शामिल किया गया।

नवंबर 1996 में कल्पना को एसटीएस- 87 में ‍'मिशन विशेषज्ञ' का पदभार सौंपने की घोषणा की गई। वर्षभर बाद ही वर्ष 1997 में कल्पना में कल्पना ने अंतरिक्ष में चहलकदमी की।

सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में उड़ान भरने के बाद वर्ष 2003 में एसटीएस- 107 अभियान के तहत दूसरी बार पुन: करनाल की इस होनहार बेटी को अंतरिक्षयात्री के रूप में चुना गया तथा 'मिशन विशेषज्ञ' का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया।

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* साथियों के साथ भरी उड़ान :-
अपने छह साथियों के साथ कल्पना चावला ने 'कोल‍ंबिया' अंतरिक्षयान में उड़ान भरी। कल्पना के साथ इस यान में रिक हसबैंड, आइलन रैमन, विलियम मैकोल, डेविड ब्राउन, माइकल एंडरसन व लॉरेल क्लार्क ने उड़ान भरी। इस मिशन के कमांडर रिक हसबैंड थे, जो अमेरिक‍ी वायुसेना के कर्नल व एक अनुभवी टेस्ट पायलट भी थे।

पृथ्वी के 252 चक्कर लगाकर16 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद विश्व भर में इन सभी की सकुशल वापसी की तैयारियाँ की जा रही थीं। लगभग 20100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की ओर आ रहे इस अंतरिक्षयान के साथ एक भारतीय महिला की सफलता की कीर्ति दुनियाभर में फैली।

* जश्न बदला मातम में :-
जब मिशन पूरा करने के बाद 'कोलंबिया' कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था। तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई।

जब कोलंबिया अमेरिका के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र पर उतरने ही वाला था कि पृथ्वी से 40 मील ऊपर यह अंतरिक्षयान धमाके के साथ धुएँ के गुबार में बदल गया और उसी के साथ कल्पना भी कहीं गुम हो गई।

* ताप बढ़ने से हुआ हादसा :-
वैज्ञानिकों के मुताबिक जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी टाइलें फट गई और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ।

अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम के निदेशक रॉन डिटमोर के अनुसार - 'प्रारंभिक जाँच से पता लगा कि सबसे पहले कोलंबिया के बाएँ पंख के हाइड्रोलिक सिस्टम में लगे तापमान बताने वाले उपकरणों ने काम करना बंद कर दिया था। जिससे यह हादसा हुआ।'

* कल्पना ने दिखाई राह :-
'सपनों को सफलता में बदला जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि आपके पास दूरदृष्टि, साहस और लगातार प्रयास करने की लगन हो।' कल्पना की कही यह बात आज युवाओं में अपने सपनों को पूरा करने का जज्बा जगा रही है।

कल्पना तो चली गई पर छोड़ गई अपनी हजारों कल्पनाएँ, जो आज के युवाओं को कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित कर रही है। भारत की यह बेटी दुनियाभर में अपना नाम कमाकर सदा के लिए अमर हो गई।

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