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जब चुनें अपना लाइफ पार्टनर

जीवनसाथी का साथ रहें जीवनभर

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गायत्री शर्मा

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जीवन में हमें कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले लेने होते हैं, जो हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं। ऐसा ही एक फैसला शादी का फैसला है। जल्दबाजी में ये फैसला लेना कई बार हमारे लिए तब मूर्खता का सौदा हो जाता है, जब भविष्य में हम इस फैसले के लिए दूसरों पर दोषारोपण करते हैं।

जब भी कभी आप अपने जीवनसाथी का चुनाव करें तो पहले उसके बारे में पूरी जानकारी एकत्र करने के बाद ही सोच समझकर जीवन का ये महत्वपूर्ण फैसला ले। इस मामले में जरा सी भी रिस्क लेना आपको बहुत महँगा पड़ सकता है। यह कोई गुड्डे-गुडियों का खेल नहीं है बल्कि जीवन का एक ऐसा सच है, जिसका सामना हम सभी को करना पड़ता है।

जब दिल मिले :-
आमतौर पर हमारे यहाँ विवाह से पूर्व कुंडलियों का मिलान किया जाता है। उसके बाद लड़का-लड़की के गुणों का मेल होने पर ही शादी की बात आगे बढ़ाई जाती है। कई बार गुणों के मेल होने पर भी लड़का-लड़की का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं हो पाता है।

जब तक उन दो लोगों के दिल नहीं मिलेंगे, जिन्हें एक-दूसरे के साथ पूरी जिंदगी गुजारनी होती है तब तक लाख कुंडलियाँ मिल जाएँ पर वे कभी दोनों एक-दूसरे के साथ सुखी नहीं रह पाएँगे। एक-दूसरे को समझकर ही सुखी वैवाहिक जीवन की शुरुआत की जा सकती है।

  अब वो वक्त नहीं रहा जब परिवार की मान-मर्यादा के खातिर आप विवाह जैसे गंभीर मामलों में चुप्पी साधकर उनकी हर बात मान ले। यह आपका अपना स्वतंत्र निर्णय है, जिसमें कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना आपके लिए बेहद आवश्यक है।      
स्वास्थ्य के बारे में जानें :-
शादी से पूर्व लड़का-लड़की दोनों को एक-दूसरे के स्वास्थ्य के बारे में सारी भ्रामक भ्रांतियाँ दूर कर लेनी चाहिए। कई बार शादी के बाद पता चलता है कि लड़का या लड़की किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है। ऐसे में इस रिश्ते को लेकर कई असमंजस की स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं।

लड़का या लड़की दोनों के लिए बेहतर होगा कि वो विवाह से पूर्व एक-दूसरे के स्वास्थ्य के संबंध में खुलकर चर्चा करें ताकि भविष्य में कोई भी प्रतिकूल स्थिति निर्मित न हो।

जिम्मेदारी का है कितना अहसास :-
लड़का एवं लड़की चाहे वो अविवाहित हो, उनको उनकी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए। दोनों को यह जानना चाहिए क्या वाकई में आपका लाइफ पार्टनर आपकी जिम्मेदारी सँभालने को तैयार है और वह शादी के प्रति गंभीर है।

जिम्मेदारियों का अहसास ही व्यक्ति में गंभीरता पैदा करता है। गंभीरता से ही व्यक्ति अपने कार्य में मन लगा पाता है।

क्या यह सही उम्र है :-
कई बार आपके और आपके लाइफ पार्टनर की उम्र में इतना अधिक अंतर होता है कि वो शारीरिक व मानसिक रूप से एक-दूसरे की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं। ऐसे में एक-दूसरे के साथ उनका सही तालमेल नहीं बैठ पाता है और वो सुखी दांपत्य जीवन का सुख भोग नहीं पाते हैं। अत: विवाह के लिए लड़का-लड़की की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए।

अब वो वक्त नहीं रहा जब परिवार की मान-मर्यादा के खातिर आप विवाह जैसे गंभीर मामलों में चुप्पी साधकर उनकी हर बात मान ले। यह आपका अपना स्वतंत्र निर्णय है, जिसमें कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना आपके लिए बेहद आवश्यक है। विवाह तभी करें जब आप मानसिक व शारीरिक रूप से इसके लिए तैयार हो।

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