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सनसनीखेज मुकाबले का रोचक अंत

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- सीमान्त सुवी

PTI

नागपुर के विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम में इंग्लैंड और हॉलैंड के बीच ग्रुप 'बी' का मुकाबला खेला गया, जो रोमांचकता के हिचकौले झेलता हुआ रोचक स्थिति में समाप्त हुआ। इस मैच में 'ऑरेंज डच ब्रिगेड' इंग्लैंड के मुकाबले कहीं बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद जीत का स्वाद नहीं चख सकी। ऑलराउंडर रेयान टेन डोएशे के जोशीला प्रदर्शन देखते बनता था। आईसीसी के 2010 के 'एसोसिएट क्रिकेटर ऑफ द ईयर' डोएशे ने न केवल शतक जमाया, बल्कि वे हारी हुई बाजी के बावजूद 'मैन ऑफ द मैच' पुरस्कार के हकदार बने।

मंगलवादिमैच शुरू होने के पूर्व स्टेडियम में जो नजारा था उसने 2007 के विश्वकप की याद ताजा कर दी। स्टेडियम की 75 फीसदी खाली कुर्सियाँ आयोजकों का मुँह चिढ़ा रही थी। चूँकि भारतीय क्रिकेट दीवानों को इन दोनों ही टीमों से कोई लेना-देना नहीं था, लिहाजा उन्होंने वर्ल्डकप के इस मैच में स्टेडियम आने की जहमत नहीं उठाई और जिन मुठ्ठी भर दर्शकों ने यहाँ आने की तकलीफ भी की तो उन्हें ऐसे मैच में आए रोमांच के अलावा भी अन्य नजारे भी देखने को मिले,जो उन्होंने सिर्फ किस्से-कहानियों में ही सुने थे।

पहले नजारों की बात करें, जो कभी- कभार देखने को मिलते हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि यद‍ि 'साइड स्क्रीन' पर काले रंग का लटका कपड़ा हट जाए तो उसे ठीक करने के लिए मैदानी अंपायर को दौड़ लगानी होगी? नहीं ना ! आपका जवाब होगा कि अंपायर की जेब में वॉकी टॉकी नाम का यंत्र होता है, जिससे वो कोई भी काम मैदान पर रहकर ही करवा सकता है।

लेकिन ऐसा हुआ नहीं, पाकिस्तान के अंपायर असद रऊफ 42वें ओवर में (हॉलैंड की बल्लेबाजी) खुद लंबी दौड़ लगाकर पैवेलियन की तरफ लगी साइड स्क्रीन के पास आए और वहाँ मौजूद कर्मचारियों से कहा कि कपड़े को ठीक करें क्योंकि उसका काफी हिस्सा ढका हुआ नहीं था।

किसी बल्लेबाज पर किस्मत कितनी मेहरबान रहती है, इसका सबसे ताजा उदाहरण ‍हॉलैंड के बल्लेबाज पीटर बोरेन हैं, जो मैच में (48.3 ओवर) स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद पर बोल्ड हो गए थे (हॉलैंड का स्कोर 276 रन) और थके हुए कदमों से पैवेलियन लौट रहे थे। इंग्लैंड के खिलाड़ी झुंड बनाकर इस विकेट का जश्न मना ही रहे थे कि तीसरे अंपायर ने नाटकीय ढंग से बोरेन को फिर से बल्लेबाजी करने का फरमान फोन पर जारी किया।

दरअसल हुआ ये था कि जब ब्रॉड द्वारा बोरेन बोल्ड हुए तब 'पावर-प्ले' के कारण तीन खिलाड़ी ही 30 गज की सीमा में थे और पॉल कॉलिंगवुड अंदर आना भूल ही गए। नियमानुसार इस स्थिति में विकेटकीपर समेत चार खिलाड़ी होना चाहिए। नतीजा यह हुआ कि अंपायर ने इसे नोबॉल करार दी। बोरेन 29 रन पर आउट हो चुके थे, लेकिन बाद में दोबारा जीवनदान पाकर नाबाद 35 रन बनाने में सफल रहे।

हॉलैंड की क्रिकेट टीम में सिर्फ तीन पेशेवर खिलाड़ी हैं। टीम के ऑलराउंडर रेयान टेन डोएशे को काउंटी क्रिकेट का अनुभव है और इसी का लाभ उठाते हुए उन्होंने इंग्लिश बल्लेबाजों को धुनकर रख दिया। पाँचवें विकेट के लिए उन्होंने टॉम डी ग्रुथ के साथ मिलकर 60 गेंदों में 64 और बोरेन के साथ छठे विकेट के लिए 32 गेंदों में 61 रन की तूफानी साझेदारी निभाई।

मैच में कई दफा ऐसे भी प्रसंग आए जब खिलाड़ियों द्वारा आपस में शब्दों के बाउंसरों को रोकने के लिए अंपायरों को नसीहत की घुट्टी पिलानी पड़ी। दरअसल रेयान की तूफानी बल्लेबाजी से इंग्लिश गेंदबाज समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें किस दिशा में गेंद डाली जाए क्योंकि स्ट्रोक खेलने के लिए अपने शरीर को किसी भी कोण पर ले जाते और गेंद पर निर्मम तरीके से प्रहार करते।

रेयान ने वनडे करियर में उन्होंने चौथा और वर्ल्डकप में पहला शतक जमाया। वे 110 गेंदों पर 9 चौकों और 3 छक्के की मदद से 119 रन बनाने में सफल रहे। इस शतक से उन्होंने वनडे में 75.18 के औसत से 1353 रन पूरे किए। वाकई रेयान ने अपनी बल्लेबाजी से इंग्लैंड के सामने मुसीबत पैदा कर दी थी और तब ये तय करना मुश्किल रहा था कि ऐसोसिएट टीम हॉलैंड है या इंग्लैंड?

कहते हैं ना 'भाग्य भी बहादुरों का साथ देता है', यही हाल रेयान का भी रहा। उन्हें 49 रनों पर जीवनदान मिला था, जिसे उन्होंने हाथोंहाथ लेकर न केवल शतक बनाया बल्कि स्कोर को 6 विकेट पर 292 रनों तक पहुँचाने में मदद भी की। इंग्लैंड हॉलैंड से इसलिए भी ज्यादा सावधान था क्योंकि वह जानता था कि 2009 के ट्‍वेंटी 20 विश्वकप के पहले ही मैच में इसी टीम ने उसे पटखनी दी थी।

293 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की सलामी जोड़ी कप्तान स्ट्रास और केविन पीटरसन ने कोई जोखिम नहीं उठाई और पहले विकेट के लिए 17.4 ओवर में 105 रन जोड़ लिए। विकेट काफी धीमा था और अहमदाबाद की तरह यहाँ भी गेंदबाजों को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा था। स्ट्रास जानते थे कि जरा-सी भूल टीम पर भारी पड़ सकती है लिहाजा वे 30वें ओवर में जाकर 88 रनों के निजी स्कोर पर आउट हुए।

41वें ओवर में जोनाथन ट्रॉट 62 रन पर आउट हो गए। इसके बाद इयान बेल (33) के 43वें ओवर में आउट होने के बाद लगा कि इंग्लैंड के हाथों से यह मैच फिसल गया है। जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे खेल का रोमांच भी शीर्ष पर पहुँचता गया।

एक समय इंग्लैंड को 36 गेंदों में 44, 24 गेंदों में 33 रन चाहिए थे, तभी मैदान पर मौजूद कद्दावर कॉलिंगवुड और रवि बोपारा ने साहस दिखाया। नतीजा यह निकला कि फासला घटकर 12 गेंदों में 13 रन का रह गया और तभी बोपारा के बल्ले से निकले छक्के ने डच ‍टीम की उम्मीदों का महल ढहा दिया।

इंग्लैंड ने 8 गेंद शेष रहते यह मैच 6 विकेट से जरूर जीता लेकिन यदि हॉलैंड के पास कुछ अच्छे गेंदबाज होते तो मैच का नतीजा दूसरा ही होता। हॉलैंड के खिलाड़ियों ने क्षेत्ररक्षण का नायाब नमूना पेश किया। गिरते पड़ते किसी तरह वे गेंद को रोक रहे थे। यहाँ तक कि गेंद रोकने के लिए उन्होंने अपने देश के प्रिय खेल 'फुटबॉल' का भी नजारा पेश किया।

कुल मिलाकर मंगलवाथोड़ी-सी किस्मत 'ऑरेंज ब्रिगेड' के साथ होती तो उसके खाते में 2 अंक जमा हो जाते। फिर भी उन्होंने नागपुर के मुठ्ठी भर दर्शकों का दिल तो जीत ही लिया। उसके 11 सिपाहियोइंग्लैंसास 'क्रिकेटिया जंग' मेअपनछाछोडदी।

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