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सबसे आगे हैं हिंदुस्तानी...

-सीमान्त सुवीर

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भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों में शायद ही ऐसकोई अभागा होगा, जिसने मोहाली में बुधवार को विश्वकप के सेमीफाइनल की टक्कर नहीं देखी होगी। मैच भले ही खत्म हो गया, भले ही भारत फाइनल में पहुँच गया, भले ही पाकिस्तान टीम थकी-माँदी अपने घर पहुँच गई लेकिन पूरे हिंदुस्तान ने आधी रात तक स्व-प्रेरणा से जो 'उत्सव' मनाया, उसकी खुमारी उतरने में काफी समय लगेगा। इस तरह के जश्न ने 28 बरस पहले की यादों फिर से ताजा कर दिया, जब लॉर्ड्‍स के ऐतिहासिक मैदान पर भारत 1983 का विश्वकप विजेता बना था।

28 बरस में आया अंतर : 'तब' में और 'अब' में फर्क ये देखा कि लोगों ने सुबह का अखबार 'ब्लेक' में नहीं खरीदा और ना ही अखबार छापने वाली मशीनें सूरज उगने के बाद तक चली। वजह ये थी कि तब टेलीविजन नाम की चीज बहुत कम घरों में हुआ करती थी और आज तो ये घर-घर में है। जश्न मनाने का तरीका वही पुराना रहा। ‍जीत पर मिठाइयाँ बाँटी, तिरंगे ध्वज के साथ सड़कों पर नाचते गाते हुए खूब धमाल मचा, मैच के रोमांचक पलों को बार-बार याद किया और अपने-अपने तरीके से पाकिस्तान पर फतह हासिल करने का विश्लेषण भी किया।

बुध हुआ शुभ : पूरा देश 'बुध' को 'शुभ' मानते हुए जश्न में गले-गले डूबा रहा। खेल का एक मैच पूरे देश को किस तरह से एकसूत्र में बाँध देता है, इसका नजारा पूरी दुनिया ने देखा होगा और मुल्क के बाहर रहने वाले भारतीय भी खुद पर गर्व कर रहे होंगे कि उन्होंने ऐसी धरती पर जन्म लिया, जो तमाम झंझावत झेलने के बाद भी किस तरह एकता की मिसाल कायम करने की सीख देती है।

100 ओवरों तक बना रहा रोमांच : मोहाली में भारत पाकिस्तान को 29 रन से हराकर क्रिकेट 'महाबली' बना और उसने 2 अप्रैल को श्रीलंका के साथ विश्वपकप के फाइनल में खेलने का हक प्राप्त किया। एक सौहार्दपूर्ण वातावरण में मैच सम्पन्न होने के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करना चाहिए। पाकिस्तान से आए मेहमानों को भी यह हार इतनी खली नहीं होगी क्योंकि इस मैच के रोमांच का अंत पूरे 100 ओवर की आखिरी गेंद फेंके जाने के ठीक पूर्व हुआ।

पूरे देश ने मनाई दीवाली : मोहाली के स्टेडियम में आम से लेकर खास तक मौजूद थे और सभी को मालूम था कि भारत की जीत पर पूरे देश में किस तरह की 'दीवाली' मनाई जाएगी। सीमा पर तैनात फौजी से लेकर सड़क पर चलने वाले आम आदमी तक पर इस जीत का जादू सिर चढ़कर बोला। राजनीतिज्ञ, उद्योगपति, फिल्मी सितारे, भारतीय क्रिकेट टीम में कुँआरे क्रिकेटरों की प्रेमिकाओं ने स्टेडियम में बैठकर इस मैच के रोमांच में खुद को डुबोया तो आम भारतीयों ने मुहल्लों और सड़कों पर निकलकर खुशी का इजहार दिल खोलकर किया। जश्दौमेधर्मजहके लोग शामिे, काबिलेतारीहै।

महिलाओं ने भी देखा मैच : क्रिकेट अब ‍महज जुनून नहीं रह गया है, वो देश की धड़कन बन चुका है। इसका सबूत बुधवार की रात को मिल गया होगा, जब बच्चे से लेकर वृद्ध ने तो भारतीय टीम को जीतते हुए तो देखा ही होगा। घर में चूल्हें तक सीमित रहने वाली हमारी माँ और भाभियों से लेकर लड़कियों तक ने क्रिकेट के रोमांच को अपनी आँखों में कैद किया होगा।

अकेले दिल्ली में लगा 10 हजार करोड़ का सट्‍टा : यदि ये आँकड़े सही है तो ताज्जुब होता है कि भारत-पाक पर अकेले दिल्ली में 10 हजार करोड़ रुपए का सट्‍टा लगा। इस मान से तो पूरे देश में मैच पर कितने हजार करोड़ की सट्‍टेबाजी इसका अनुमान लगाना कठिन है। भारत ने लीग मैच के बाद क्वार्टर फाइनल से अपना खेल कौशल दिखाना शुरु किया और जीत की 'हैट्रिक' विश्वकप जीतने के साथ ही पूरी होगी, इसकी पूरी-पूरी संभावना अभी से लगने लगी है।

सट्‍टेबाजों की नजर में भारत चैम्पियन : कई दफा ये समझना मुश्किल होता है कि क्रिकेट मैच मैदान पर खिलाड़ी खेलते हैं या फिर उन मैचों पर सट्‍टा खाने वाले सटोरिये। आप देखिए, विश्वकप शुरू होने के पहले से ही सट्‍टेबाज भारत को विश्व विजेता मान रहे थे और आज भारत वाकई चैम्पियन बनने की दहलीज पर आ गया है।

अनुमान 100 फीसदी सही : आप इन सट्‍टेबाजों को एक अच्छा भविष्यकर्ता या ज्योतिष भी मान सकते हैं, जिसके पास भारतीय क्रिकेट टीम की कुंडली है और उसके लगाए अनुमान 100 फीसदी सही होते हैं। भारत पाकिस्तान मैच के पहले ही सट्‍टेबाजों ने जो भाव खोले थे, उसमें भारत जीत रहा था और परिणाम भी यही हुआ।

गावसकर भी खरे साबित हुए : सुनील गावसकर बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं और खेल के बाद वे बेहतरीन टिप्पणीकार के रुप में जाने जाते हैं। मंगलवार की रात जब इस मैच के बारे में उनसे सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि 'ये एक बेहतरीन मैच होगा और इसका परिणाम 99वें से 100वें ओवर के बीच आएगा और वाकई भारत को ये जीत 99.5 ओवर के खेल के बाद मिली।'

इसलिए है हर कोई खुश : पाकिस्तान की हार से हर भारतीय खुश हुआ, खुश ही नहीं हुआ उसका दिल बागबाग हो गया, आईसीसी खुश है क्योंकि उसे वेस्टइंडीज में आयोजित 2007 के विश्वकप में भारी घाटा हुआ था, उसकी भरपाई इस विश्वकप ने कर दी, बीसीसीआई इसलिए खुश है क्योंकि उसके दोनों हाथों में लड्‍डू है, एक तो आयोजन सफल हुआ, दूसरा इंडिया टीम फाइनल में पहुँच गई, टीवी वाले इसलिए प्रसन्न है क्योंकि उन्होंने मैच के बीच दिखाए जाने वाले विज्ञापनों से भारी कमाई की, पूर्व क्रिकेटर इसलिए खुश हैं कि उन्हें विश्वकप के कारण टीवी पर आने का मौका मिला और लाखों रुपए भी मिले, यानी आज हर जगह सही मायने में 'फीलगुड' है।

हौंसला बनेगा हथियार : इसमें कोई दो राय नहीं कि जब से महेन्द्र सिंह धोनी ने टीम इंडिया की कमान संभाली है, एक दिवसीय क्रिकेट में भारत का डंका बजा है। 2008 से लेकर 2011 तक के दरमियान माही की अगुआई में भारतीय क्रिकेट सूरमाओं ने अनेकों बार कमाल का प्रदर्शन किया है। इस विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद 'ब्ल्यू ब्रिगेड' के हौंसले बुलंद है, यही हौंसले 2 अप्रैल के दिन विश्वकप जीतने का हथियार बनेंगे।

'डर' के आगे 'जीत' : टीम इंडिया ने दुनियाभर में ये भरोसा अपने कद से पैदा किया है। आज धोनी की कप्तानी वाली भारतीय टीम 'डर' के आगे 'जीत' के फलसफे को मैदान पर उतारती हुई दिखाई दे रही है। धोनी के धुरंधरों ने ये साबित कर दिया है कि यदि इतिहास बदलना हो, इतिहास बनाना हो तो चुनौतियाँ मुश्किल जरूर होती है, लेकिन उन पर बुलंद हौंसलों के साथ फतह भी हासिल की जा सकती है।

सबसे आगे हिंदुस्तानी : 28 बरस बाद एक बार फिर वो लम्हा दहलीज पर आ खड़ा है, जब टीम इंडिया विश्व चैम्पियन बनकर समूची क्रिकेट बिरादरी को ये बता सकती है कि हाँ हम चैम्पियन हैं और सबसे आगे हैं हिंदुस्तानी...

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