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रिफ्रेश योगा टिप्स

हमें फॉलो करें रिफ्रेश योगा टिप्स

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

, शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012 (15:19 IST)
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रिफ्रेश योगा अंग संचालन और प्राणायाम का हिस्सा मात्र है, लेकिन आप इसे करेंगे तो धीरे-धीरे मानसिक शांति और अच्छे स्वास्थ्य का अनुभव करेंगे। आप इस रिफ्रेश योगा को ऑफिस में, घर पर या बस-ट्रेन-प्लेन के सफर में भी कर सकते हैं। यह तरोताजा होने की कारगर विधि है।

रिफ्रेश योगा से पूर्व : भोजन, पानी और हवा यही हैं जिंदगी का आधार। इसी से शरीर और मन संचालित होता है। तो जानें इनके बारे में भी।

भोजन : जितनी भूख है उससे दो रोटी कम खाएं। भोजन में सलाद का ज्यादा प्रयोग करें। भोजन बैठकर ही करें। भोजन करते वक्त मन प्रसन्नचित्त रखें। ऐसा भोजन न करें, जिससे दांतों और आंतों को अतिरिक्त श्रम करना पड़े। भोजन करने के एक घंटे बाद ही पानी पीएं। यह भी ध्यान रखें क‍ि थाली में हाथ न धोएं।

पानी : पानी पीएं छानकर। ध्यान रहे पानी हलका और मीठा पीएं। जब प्यास लगे तब पानी पीएं। पानी बैठकर ही पीएं। पानी गिलास से पीएं या फिर हाथों की अंजुली बनाकर ही पीएं। ऊपर से मुंह में पानी डालकर पीने के अपने नुकसान हैं। जिस पात्र में पानी भरा जाता है व पात्र ईशान कोण में रखा हो, उसके आसपास की जगह साफ हो।

हवा : भोजन कुछ दिन न मिले तो जीवन चल जाएगा। पानी कुछ घंटे न मिले तो भी चल जाएगा, लेकिन हवा हमें हर पल चाहिए। जिस तरह दूषित भोजन और दूषित पानी स्वत: ही निकल जाते हैं या कभी-कभार निकालने का प्रयास करते हैं, उसी तरह शरीर के फेफड़ों और पेट में एकत्रित दूषित वायु को निकालने का प्रयास ‍करें। हलके प्रेशर से श्वास बाहर फेंक दें, फिर पूरी गहराई से सांस भीतर खींचें, भ्रस्त्रिका और कपालभाति के इस हिस्से को जब भी समय मिले करते रहें। छींक आए तो पूरी ताकत से छींकें।

नींद : नींद एक डॉक्टर है और दवा भी। आपकी नींद कैसी होगी, यह निर्भर करता है इस पर क‍ि आप दिनभर किस तरह से जीएं। जरूरी है कार्य, विचार, आहार और व्यवहार पर गंभीर मंथन करना। यदि यह संतुलित और सम्यक रहेगा तो भरपूर ‍नींद से स्वास्थ्‍य में लाभ मिलेगा। ज्यादा या कम नींद से सेहत और मन पर विपरीत असर पड़ता है।

कैसे करें रिफ्रेश योगा : आंखों को, जीभ को, हाथ-पैर की कलाइयों को, कमर को, गर्दन को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे करते हुए गोल-गोल घुमाएं। हाथों की मुट्ठी को खोलें और बंद करें। इसी तरह पैरों की अंगुलियों की योगा एक्सरसाइज करें। कानों को मरोड़ें, पूरा मुंह खोलकर बंद करें। बदन में किसी देवता के आने जैसा हिलें या धूजें। गादी पर लोट लगाएं। गुलाटी लगाने का प्रयास न करें। बदन में लचक हो तो ही गुलाटी लगाएं। अंगड़ाई आए तो उसको अच्छे से मजा लेते हुए करें। यह सब कुछ अंग संचालन का हिस्सा मात्र है। आप अंगल संचालन की सभी स्टेप सीख लें।

मन और मस्तिष्क : जब भी तनावग्रस्त्र या ज्यादा सोचग्रस्त्र रहें तो पेट और फेफड़ों की हवा पूरी तरह से बाहर निकाल दें और नए सिरे से ताजी हवा भरें। ऐसा पांच से छह बार करें। हंसने का मौका हो तो खिलखिलाकर हंसें। निश्चित ही इस विधि से मन और मस्तिष्क तरोताजा बनता है।

झपकी ध्यान : सिर्फ एक मिनट का झपकी ध्यान करें। ऑफिस या घर में जब भी लगे तो 60 सेकंड की झपकी मार ही लें। इस ध्यान से आप स्वयं को हर वक्त तरोताजा महसूस करेंगे।


मौन : मौन से मन की आंतरिक्त शक्ति और रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कुछ क्षण ऐसे होते हैं जबकि हम खुद-ब-खुद मौन हो जाते हैं। ऐसा कुछ विशेष परिस्थिति में होता है, लेकिन मौन रहने का प्रयास करना और यह सोचते हुए क‍ि मौन में कम से कम सोचने का प्रयास करूंगा, ज्यादा से ज्यादा देखने और सांसों के आवागमन को महसूस करने का प्रयास करूंगा, एक बेहतर शुरुआत होगी। दो घंटे की व्यर्थ की बहस से 10 मिनट का मौन रिफ्रेश कर विजन पावर बढ़ाएगा।

अंतत: : यदि कर सकें तो कभी-कभार भ्रस्त्रिका, कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। आसनों में सुप्त वज्रासन, पश्चिमोत्तनासन पादहस्तासन, भुजंगासन, हलासन, वकरासन और अर्धमत्स्येंद्रासन करें। जरूरी नहीं कि सभी आसन या प्राणायम एक साथ करें या इनके लिए अलग से समय निकालें। कोई भी एक आसन का चयन कर लें और सुबह टॉइलेट के बाद नहाने के पहले या बाद में कर डालें।

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