Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

विवाह के सितारे पस्त

देवउठनी, बसंत पंचमी और आखातीज चपेट में !

हमें फॉलो करें विवाह के सितारे पस्त
- पं. रविदत्त पौराणिक, ज्योतिषाचार्य- प्रेमचंद द्वितीय

ND
देव प्रबोधिनी एकादशी गुरुवार को न तो सामूहिक विवाह के तंबू तनेंगे, न ही बगैर मुहूर्त विवाह के ही आयोजन होंगे। बैंड-बाजों, घोड़े-गाड़ी और लाड़ा-लाड़ी सबको करना होगा इंतजार। तारों के उदय तथा अस्त में विवाह के कई सितारे पस्त होंगे। तारों के उदय-अस्त की चपेट में देव उठनी ग्यारस के साथ-साथ बसंत पंचमी (20 जनवरी-10) व अक्षय तृतीया (16 मई-10) भी आ रही है।

देव प्रबोधिनी एकादशी को तुलसी विवाह के साथ अबूझ मुहूर्त में जो विवाह करना चाहते हैं, वे तारा अस्त होने से नहीं कर पाएँगे। तुला संक्रांति होने से देव उठनी, शुक्र तारे के अस्त होने से बसंत पंचमी एवं तेरह दिन का पक्ष होने से अक्षय तृतीया पर ज्योतिषियों के मुताबिक शुभ एवं मंगल कार्य वर्जित होंगे।

इस वर्ष विवाह 16 नवंबर के पश्चात वृश्चिक राशि में सूर्य के आने पर ही प्रारंभ होंगे। देव उठनी ग्यारस पर तारा अस्त होने व तुला संक्रांति होने से शुभ कार्य नहीं हो पाएँगे। नवंबर में केवल 17 नवंबर को ही लग्न तिथि है। इसके बाद दिसंबर में 1, 2, 8, 9, 10, 12 एवं 13 दिसंबर तक मुहूर्त है। 13 दिसंबर के पश्चात मल मास प्रारंभ होने से 14 जनवरी तक तथा उसके बाद 3 फरवरी तक तारा अस्त होने से विवाह आदि शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। 7 फरवरी को ही लग्न मुहूर्त है। इसके बाद फिर 18 फरवरी से 16 मार्च-10 तक गुरु अस्त होने से शुभ कार्यों में रुकावट आएगी।

हालाँकि ज्योतिषियों का यह भी कहना है कि पूर्व के वर्षों में भी अनेक अवसरों पर तारों के उदय-अस्त की चपेट में अबूझ मुहूर्त आ चुके हैं। बावजूद इसके लोग पाती के लग्न लेकर तथा माँगलिक परिसरों की उपलब्धता या हलवाई व बैंड-बाजों वालों की फुर्सत को देखकर अच्छे चौघड़िए में विवाह माँड रहे हैं। कुल मिलाकर शादी करने के उतावलों ने अपनी सुविधा देखकर मुहूर्तों को भी धता बता दी है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi