Biodata Maker

बुधादित्य योग : सूर्य-बुध के संयोग से बनता है बुधादित्य योग, कुंडली के किस घर में देता है क्या फल

Webdunia
सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में तो सूर्य ही सबसे प्रधान ग्रह है। चराचर जगत में सूर्य का ही प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मानव शरीर में आत्मा सूर्य से ही प्राप्त होती है। हृदय का स्पंदन, श्वास, प्रश्वास, उदरस्थ अग्नि इसी के पर‍िणाम हैं।

सौर ऊर्जा छोटे से खिलौने, केल्कुलेटर आदि से लेकर उपग्रह तक को गति प्रदान करती है। सूर्य से प्रभावित एवं प्रकाशित ग्रह भी विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप सामर्थ्‍य प्रदान करते हैं। सूर्य पाप ग्रह न होकर क्रूर ग्रह है। क्रूर एवं पापी में बड़ा अंतर होता है। क्रूर तो शुभ-अशुभ सभी कार्यों में रूखापन दिखाते हुए लक्ष्य में पवित्रता बनाए रखता है लेकिन पापी भाव अच्‍छा नहीं माना जाता है। बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट है और इसीलिए उसका पुरुषत्व समाप्त हो गया। लेकिन बुध भी अपना प्रभाव अन्य ग्रहों के सान्निध्य की अपेक्षा सूर्य के साथ होने पर विशेष प्रदान करता है। जन्मांग चक्र में प्राय: 70 प्रतिशत संभावना सूर्य, बुध के एक साथ बने रहने की ही होती है। बुधादित्य नाम से विख्यात यह योग अलग-अलग भावों में अतिविशिष्ट फल प्रदान करने वाला होता है।
 
बुधादित्य योग यदि लग्न में हो तो बालक का कद माता-पिता के बीच का होता है। यदि वृष, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, राशि लग्न में हो तो लंबा कद होता है। जातक का स्वभाव कठोर तथा वात-पित्त-कफ से पीड़ित होता है। बाल्यावस्था में कान, नाक, आंख, गला, दांत आदि में कष्ट सहन करना पड़ता है। स्वभाव से वीर, क्षमाशील, कुशाग्र बुद्धि, उदार, साहसी एवं आत्मसम्मानी होता है। स्त्री जातक में प्राय: चिड़चिड़ापन तथा बालों में भूरापन भी देखा जाता है।
 
द्वितीय भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो तार्किक अभिव्यक्ति होती है, लेकिन व्यवहार में शून्यता-सी झलकती है। कई अभियंताओं, घूसखोरों एवं ऋण लेकर तथा दूसरों के धन से व्यवसाय करने वाले या दूसरों की पुस्तकें लेकर अध्ययन करने वाले लोगों के लिए स्‍थिति प्राय: बनी हुई होती है। तृतीय स्थान पर यदि बुधादित्य योग हो तो जातक स्वयं परिश्रमी होता है तथा भाई-बहनों में आत्मीय स्नेह नहीं पा सकता। मौसी को कष्ट रहता है तथा भाग्योदय के अनेक अवसर खो देता है। पात्रता के अनुरूप नौकरीपेशा तथा व्यवसाय अवश्य प्रदान करवाता है, लेकिन पारिवारिक खुशहाली में बाधक होता है।
 
तृतीय स्थान के बुधादित्य योग को अधिकतर विद्वान एवं ग्रंथ श्रेष्ठ मानते हैं। लेकिन 70 प्रतिशत जन्मांग चक्रों के अनुसार यह योग आज के युग में श्रेष्ठ नहीं है। चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग मनुष्य को आशातीत सफलता प्रदान करने वाला होता है। संस्था प्रधान, तार्किक मति, कुलपति, प्रोफेसर, इंजीनियर, सफल राजनेता, न्यायाधीश या उच्च कोटि का अपराधी भी बना देता है। माता का स्वास्थ्य चिंताजनक तथा पत्नी के भाग्य का भी सहारा मिलता है। अपनी स्थायी संपत्ति होते हुए भी दूसरों या सरकारी वाहनों, भवनों का उपयोग करने वाला तथा विषमलिंगी मित्रों का सहयोग एवं प्रेम करने वाला होता है। पंचम भाव में यह योग अल्प संतान लेकिन प्रतिभा संपन्न संतान प्रदान करवाता है। चित्त में उद्विग्नता वात रोग एवं यकृत विकार की प्रबल संभावना बन जाती है। घर में भाभी या बड़ी बहन से वैचारिक मतभेद होते हैं। मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन राशि में यह योग अल्प संतान प्रदाता होता है। स्त्री ग्रहों से दृष्ट होने पर कन्या संतान की अधिकता संभव होती है।
 
छठे भाव में सूर्य बुध के साथ हो तो शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर सहयोग नहीं मिल पाता है।
 
सप्तम भाव में सूर्य बुध के साथ हो तो शत्रुओं की मिथ्या विरोधी क्रियाओं से चिंतायुक्त होते हुए भी आत्मविश्वास बना रहता है। मामा पक्ष से बचपन में लाभ मिलता है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर सहयोग नहीं मिल पाता है।
 
सप्तम भाव में बुधादित्य योग यौग रोगों को उत्पन्न करने वाला तथा अत्यंत कामी भाव को समय एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर उत्पन्न करने वाला होता है। ऐसे लोग अपने जीवनसाथी की उपेक्षा कर दूसरों की ओर विशेष आकृष्ट होने वाले होते हैं लेकिन कभी भी अंतरंग संबंधों में नहीं बंध पाते हैं। सप्तम के बुधादित्य योग वाले प्राय: चिकित्सक, अभिनेता निजी सहायक, रत्न व्यवसायी, समाजसेवा एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध होते हैं। सिंह या मेष राशि सप्तम में हो तो एकनिष्ठ होते हैं। शुभ ग्रहों की दृष्टि एवं सान्निध्य इन योगों में बड़ा भारी परिवर्तन भी कर देता है।
 
अष्टम भाव में यदि बु‍धादित्य योग हो तो जातक किसी को सहयोग करने के चक्कर में स्वयं उलझ जाता है। दुर्घटना में पैर, हाथ, गाल, नाखून एवं दांत पर चोट का भय बना रहता है। विदेशी मुद्रा से व्यापार, किडनी स्टोन, आमाशय में जलन तथा आंतों में विकार भी इस योग का परिणाम बन जाता है। नवम स्थान पर यह योग स्वाभिमानी के साथ-साथ अहंकारी बना देता है तथा प्रारंभ में कई सुअवसरों का परित्याग बड़े भारी पश्चाताप का कारण बनता है।
 
पैतृक संपत्ति का परित्याग कर स्वोपार्जित संपत्ति अर्जित कराता है। दशम भाव में बुधादित्य योग बुद्धिमान, धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी बनाता है। पुत्र-पौत्रादि सुख से संपन्न लेकिन एक संतान से चिंतित भी बनाता है। धार्मिक स्थानों का निर्माण लंबी ख्याति प्रदान कराता है। 
 
ग्यारहवें भाव में यदि सूर्य बुध के साथ हो तो यशस्वी, ज्ञानी, संगीत विद्या प्रिय, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न करवाता है। लोकसेवा के लिए सरकार एवं अनेक प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति होती है। द्वादश भाव में बुधादित्य योग चाचा-ताऊ से विरोध करवाता है तथा अपनी संपत्ति उनके चंगुल में फंस जाती है। जुआ, सट्टा, शेयर या अन्य आकस्मिक धन-लाभ के व्यवसायों में फंसकर अपना सर्वस्व लुटा जाता है। बुधादित्य योग को राशि एवं अन्य ग्रहों के संबंध भी प्रभावित करते हैं लेकिन अलग-अलग भावों में एकाकी हो तो ऐसा ही फल प्रदान करता है। 
 
-डॉ. विनोद शास्त्री, जयपुर
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shukra gochar: शुक्र के वृश्‍चिक में मार्गी होने से 4 राशियों पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा! करें मात्र एक उपाय

Numerology Weekly Horoscope, December 2025: साप्ताहिक अंक राशिफल, जानें 01 से 07 दिसंबर तक आपका भाग्य और भविष्य

बुध के मार्गी होने से 3 राशियों को मिलेगी आर्थिक समस्या से मुक्ति

Lal Kitab Vrishabha rashi upay 2026: वृषभ राशि के जातकों के लिए लाल किताब के अचूक उपाय, राहु केतु देगा संकट

शुक्र का वृश्‍चिक राशि में गोचर, 12 राशियों का क्या रहेगा राशिफल, जानें किसे मिलेगा धन और कौन होगा कंगाल

सभी देखें

नवीनतम

02 December Birthday: आपको 2 दिसंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 02 दिसंबर, 2025: मंगलवार का पंचांग और शुभ समय

Horoscope 2026: नया साल आपकी किस्मत कैसे बदलेगा? जानें महत्वपूर्ण मौके, चुनौतियां और उपाय (वार्षिक राशिफल 2026)

Meen Rashi 2026: मीन राशि का राशिफल: शनि और राहु से रहें बचकर, गुरु करेंगे भविष्य तय

05 दिसंबर से लगेगा शुभ विवाह पर विराम, 15 को होंगे शुक्र अस्त

अगला लेख