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शुभ मुहूर्त में कैसे करें दुर्गोत्सव घटस्थापना

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पं. सोमेश्वर जोशी

(नवरात्रि पर पावन मुहूर्त में ही करें कलश स्थापना, जानिए विधि) 


 
  
दुर्गा की आराधना के पर्व नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घटस्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। माता दुर्गा व घटस्थापना शुभ मुहूर्त के समय की विधि का वर्णन इस प्रकार है-
 
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर जौ और गेहूं बोएं, फिर वहां अपनी शक्ति के अनुसार बनवाए गए सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की विधिपूर्वक पूजा करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति की प्रतिष्ठा करें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिन्दूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें। मूर्ति न हो तो कलश के पीछे स्वस्तिक और उसके दोनों कोनों में दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजन सात्विक हो, राजस या तामसिक नहीं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
 
नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांति पाठ करके संकल्प करें और सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति का षोडशोपचार पूजन करें। दुर्गा देवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ 9 दिनों तक करना चाहिए। इच्छानुसार फल प्राप्ति के लिए विशेष मंत्र से अनुष्ठान करना या योग्य वैदिक पंडित से विशेष मंत्र से अनुष्ठान करवाना चाहिए।  


आगे पढ़ें कैसे करें मां दुर्गा की आरती... 

 
 
 

इस आसान विधि से करें मां दुर्गा की आरती

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आरती के कुछ विशेष नियम होते हैं। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि देवताओं के सम्मुख 14 बार आरती उतारनी चाहिए। 4 बार चरणों पर से, 2 बार नाभि पर से, 1 बार मुख पर से तथा 7 बार पूरे शरीर पर से आरती करने का नियम है। आरती की बत्तियां 1, 5, 7 अर्थात विषम संख्या में ही बनाकर आरती की जाना चाहिए।






 


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