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नौ दिन खूब तपेंगे सूर्य, रोहिणी नक्षत्र में किया प्रवेश

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

सूर्य जब चन्द्र के नक्षत्र रोहिणी में जाता है तो सूर्य की तपन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। कहा जाता है कि यदि रोहिणी तपे व रोहिणी नक्षत्र के कम से कम 9 दिन के अन्तराल में बारिश ना हो तो वर्षा उस वर्ष अधिक होती है।  



 
इस बार सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के समय वृश्चिक लग्न का उदय हो रहा है। लग्न जल तत्व प्रधान होने से व उसमें शनि का वक्र गति से होना हवा व तूफान का जोर बताता है। 

नौतपा आरंभ : सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश
 
इस बार वक्र शनि की दृष्टि सप्तम भाव पर बैठे सूर्य, मंगल व वक्री बुध पर पड़ने से कहीं-कहीं वर्षा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इधर चन्द्र जो जलतत्व का कारक है वह भी सूर्य की राशि सिंह में होकर दशम भाव में है। 

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पूर्वोतर राज्यों मे अंधड़ की संभावना अधिक रहेगी। कहीं कहीं नुकसान भी संभव है। रोहिणी नक्षत्र में यदि वर्षा हो जाती है तो उसे रोहिणी का गलना कहते हैं। जब रोहिणी गलती है तो उस वर्ष वर्षा कम होती है। इसका कारण यह है कि सूर्य बराबर अपनी तपीश नहीं दे पाता है जिससे पानी वाष्प होकर बादलों के रूप में ठीक ढंग से नहीं बन पाता। इसी कारण वर्षा की संभावना कम रहती है। इस बार ग्रहों की चाल से पता चलता है कि सूर्य खूब तपेगा व वर्षा भी अधिक होगी। 
 

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