सूर्य पुत्र शनि एवं यमराज के भ्राता शनि न्याय के देवता हैं। अपनी दशा साढ़ेसाती आदि में किए गए कर्म के भले या बुरे फल देते हैं। वैदज्ञ द्वारा बतलाए गए शनि महाराज की शांति या प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले उपायों के अलावा निम्नलिखित उपाय करने से अपने दु:ख दूर किए जा सकते हैं।
18 अप्रैल को शनि अमावस्या है इस अवसर पर इन उपायों को करने से कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होते हैं।
(1) पीपल वृक्ष की परिक्रमा करें। समय प्रात:काल मीठा दूध वृक्ष की जड़ में चढ़ाएं तथा तेल का दीपक पश्चिम की ओर बत्ती कर लगाएं तथा 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र पढ़ते हुए 1-1 दाना मीठी नुक्ती का प्रत्येक परिक्रमा पर 1 मंत्र तथा 1 दाना चढ़ाएं। पश्चात शनि देवता से कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।
(2) काली गाय, जिस पर कोई दूसरा निशान न हो, का पूजन कर 8 बूंदी के लड्डू खिलाकर उसकी परिक्रमा करें तथा उसकी पूंछ से अपने सिर को 8 बार झाड़ दें।
(3) काला सूरमा सुनसान स्थान में हाथभर गड्ढा खोदकर गाड़ दें।
(4) काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं।
(5) काले घोड़े की नाल या नाव की कील का छल्ला बीच की अंगुली में धारण करें।
(6) बिच्छू, बूटी या शनि यंत्र धारण करें।
(7) पानी वाले 11 नारियल, काली-सफेद तिल्ली 400-400 ग्राम, 8 मुट्ठी कोयला, 8 मुट्ठी जौ, 8 मुट्ठी काले चने, 9 कीलें काले नए कपड़े में बांधकर संध्या के पहले शुद्ध जल वाली नदी में अपने पर से 1-1 कर उतारकर शनिदेव की प्रार्थना कर पूर्व की ओर मुंह रखते हुए बहा दें।
(8) कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करें।
(9) 800 ग्राम तिल तथा 800 ग्राम सरसों का तेल दान करें। काले कपड़े, नीलम का दान करें।
(10) काले घोड़े की नाल अपने घर के दरवाजे के ऊपर स्थापित करें। मुंह ऊपर की ओर खुला रखें। दुकान या फैक्टरी के द्वार पर लगाएं तो खुला मुंह नीचे की ओर रखें।
(11) हनुमान चालीसा पढ़ते हुए प्रत्येक चौपाई पर 1 परिक्रमा करें।
इस तरह आप अपने-अपने कष्ट दूर कर सकते हैं तथा शनि महाराज की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।