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रहस्यमय और विचित्र है शिवजी के स्वरूप, जानिए उनके अर्थ...

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श्री रामानुज

* जानिए शिव के 10 विराट और अनंत स्वरूप की महिमा 
* जानिए शिवजी के 10 रहस्य और उनके अर्थ...  
 

 
भगवान शिव का रूप-स्वरूप जितना रहस्यमय और विचित्र है, उतना ही आकर्षक भी। शिव जो धारण करते हैं, उनके भी बड़े व्यापक अर्थ हैं। रुद्र, शिव, महादेव ये सारे ही शिव के नाम हैं।

कहीं इन्हें संहार का देवता माना जाता है तो कहीं उन्हें भोले भंडारी और भूतनाथ... लेकिन प्रत्येक रूप में शिव अपने स्वरूप में 10 वस्तुएं धारण किए रहते हैं।
 
आइए जानते हैं कौन-सी हैं वे 10 वस्तुएं और क्या है उनका रहस्य और अर्थ.... 


 
आगे पढ़ें शिव के बारे में 10 रहस्य की बातें... 
 
 

शिव स्वरूप

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1. जटाएं : शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं। घने बादलों से काली और उलझी जटाओं में चंद्रमा विराजमान है। इन्हीं से गंगा का अवतरण भी हुआ है। तो यह अनंत अंतरिक्ष का प्रतीक हैं। 
 
 
 
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2. चंद्र : चंद्रमा मन का प्रतीक है। शिव का मन चांद की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है।
 
 
 
 
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3. त्रिनेत्र : शिव की तीन आंखें हैं। इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। शिव की ये आंखें सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु पाताल (तीनों लोकों) का प्रतीक हैं।
 
 
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4. सर्पहार : सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है। सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है।
 
 
 
 
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5. त्रिशूल : शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है। त्रिशूल भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करता है। यह संहार का प्रतीक भी है। 
 
 
 
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6. डमरू : शिव के एक हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं। डमरू का नाद ही ब्रह्मा रूप है।
 
 
 
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7. मुंडमाला : शिव के गले में मुंडमाला है, जो इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है।
 
 
 
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8. छाल : शिव ने शरीर पर व्याघ्र चर्म यानी बाघ की खाल पहनी हुई है। व्याघ्र हिंसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ है कि शिव ने हिंसा और अहंकार का दमन कर उसे अपने नीचे दबा लिया है।
 
 
 
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9. भस्म : शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है। शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है। भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है।
 
 
 
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10. वृषभ : शिव का वाहन वृषभ यानी बैल है। वह हमेशा शिव के साथ रहता है। वृषभ धर्म का प्रतीक है। महादेव इस चार पैर वाले जानवर की सवारी करते हैं, जो बताता है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं।
 
इस तरह शिव-स्वरूप हमें बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है, महिमा अपरंपार है। उनमें ही सारी सृष्टि समाई हुई है।



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