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मेष लग्न : तुला राशि पर साढ़ेसाती- 7

शनि की पंचम भाव पर दृष्टि : प्रेम संबंधों में बाधा

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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मेष लग्न में तुला राशि पर शनि की साढ़ेसाती शनि के कन्या राशि पर आने से प्रथम ढैया लगेगा। शनि इस अवस्था में दशमेश राज्य, पिता, व्यापार, नौकरी, विधायक, मन्त्रीपद, उच्च प्रशासनिक सेवा भाव का भावाधिपति होगा एवं एकादश आय भाव का भी स्वामी होगा जो अपने मित्र बुध की राशि में होने से उपरोक्त भावों से संबंधित मामलों मे परेशानी व बाधाओं के बाद सफल भी रहेंगे। शत्रु पक्ष प्रभावहीन होंगे। नाना-मामा का भी सहयोग मिलेगा। शनि उच्चाभिलाषी होने से अपने जीवन साथी से भी लाभान्वित होंगे।

स्वास्थ्य व वाहनादि के मामलों मे सावधानी रखकर चलें। शनि की तृतीय दृष्टि आयु भाव पर ठीक नहीं रहती। शनि की द्वादश भाव पर सप्तम दृष्टि सम पड़ने से बाहरी मामलों में मिलेजुले परिणाम मिलेंगे। यात्रा होगी लेकिन रुकावटों के बाद होगी। शनि की दशम मित्र दृष्टि तृतीय भाव पर पड़ने से शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहेगा, पराक्रम में वृद्धि होगी। शनि का दूसरा ढैया सप्तम भाव से तुला राशि पर रहेगा, शनि इस समय उच्च का होने से अविवाहितों का विवाह होगा, दैनिक व्यवसाय में लाभ होगा, जीवन साथी से भी भरपूर सहयोग मिलेगा।

शनि की नवम भाव पर सम दृष्टि पड़ने से भाग्य के क्षेत्र में मिलजुली स्थिति रहेगी। शनि की सप्तम दृष्टि लग्न पर नीच पड़ने से स्वास्थ्य की परेशानी, मन चिड़चिड़ा रहेगा। ऐसी स्थिति में एक कटोरी में सरसों का तेल भरकर शनिवार के दिन अपना मुँह देखकर भिक्षुक को दे दें।

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शनि की दशम दृष्टि चतुर्थ भाव पर सम पड़ने से पारिवारिक मामलों में मिलीजुली स्थिति रहेगी, ऐसी स्थिति में मकान निर्माण न करें। शनि की अन्तिम साढ़ेसाती अष्टम भाव पर शत्रु मंगल की राशि पर होने से वाहनादि से चोट या दुर्घटना संभव है।

दशम भाव पर शनि की स्वदृष्टि अष्टम से होने से अनेक बाधाओं के बाद कुछ रहत भी रहेगी, पिता को कष्ट या कोई अशुभ समाचार सुनने को मिल सकता है। राजनैतिक व्यक्तियों को अपयश, व्यापारी वर्ग को नुकसान भी रहेगा। शनि की सप्तम द्वितीय भाव पर मित्र दृष्टि पड़ने से कोई विशेष लाभ वाली बात नहीं रहेगी। धन कुटुम्ब से भी कष्ट रहेगा।

शनि की दशम-पंचम भाव पर शत्रु दृष्टि पड़ने से सन्तान कष्ट, विद्यार्थी वर्ग को राहत नहीं, प्रेम संबंधों में बाधा रहती है। किसी को अशुभ परिणाम मिलें तो वे शनि के दर्शन न करें व काले उड़द सवा पाव शुक्रवार को अपने पास रखकर सोएँ व दूसरे दिन शाम को अपने ऊपर से नौ बार उतारकर किसी सुनसान जगह गाड़ दें। इस प्रकार शनि पीड़ा से कुछ राहत मिलेगी।

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