आचार्य डॉ. संजय
शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं। उसे तिल्ली के तेल में 7 दिन शनिवार से शनिवार तक रखें तथा उस पर शनि मंत्र के 23,000 जाप करें।
शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें। यह अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें तथा इसके लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ हैं।
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शनिवार या शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें।
इसके बाद रुद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।
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मंत्र
पौराणिक शनि मंत्र: ॐ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
* प्रत्येक शनिवार को शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद कड़वे तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।